आस्था: परली वैद्यनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि पर 9 लाख श्रध्दालुओं के आने की संभावना

  • बारह ज्योतिर्लिंग में से पांचवें स्थान पर
  • जिलाधिकारी दिपा मुधोल-मुंडे के हाथो होंगा रूद्राभिषेक
  • सीसीटीवी कैमरे समेत पुलिस का तगड़ा बदोबस्त

सुनील चौरे, बीड । महाराष्ट्र में बारह ज्योतिर्लिंगों में पांचवें स्थान पर वैद्यनाथ परली मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है । यहां दूर-दराज से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।

जिलाधिकारी के हाथो रूद्राभिषेक : महाशिवरात्रि पर्व के एक माह पहले से परली वैद्यनाथ मंदिर में पर्व की तैयारियां शुरू की गई। 8 मार्च को शुक्रवार के दिन बीड के जिलाधिकारी दिपा मुधोल-मुंडे के हाथो परली वैद्यनाथ भगवान का रूद्राभिषेक होगा।

शिवरात्रि पर मंदिर ट्रस्ट के 80 सेवाधारी तैनात :परली वैद्यनाथ समिती के राजेश देशमुख ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बर परली वैद्यनाथ में 8 मार्च शुक्रवार को 9 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है । श्रध्दालुओं की सुरक्षा व्यवस्था का पूरा बंदोबस्त किया गया है। मंदिर परिसर के चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे की नजर रहेगी । परली वैद्यनाथ मंदिर ट्रस्ट के 70 से 80 सेवाधारी श्रध्दालुओं की सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगे ।

देवगिरी के यादव राजे रामचंद्र इनके प्रधान हेमाद्रिपंत ने बारहवी सदी में इस मंदिर का निर्माण किया । सोनपेट तहसील से डिघोल गांव परिसर में त्रिशुला देवी परिसर की पहाड़ी खोदकर काला पाषाण निकालकर मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया। होलकर परिवार व बीड जिले की पुत्री पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर ने सन 1699 में मंदिर के जीर्णोध्दार का निर्माण किया ।सन 1706 में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ ।मंदिर परिसर में पूर्वघाट , उत्तर घाट का निर्माण किया गया है। शिल्पकार एस बी परदेशी ने मंदुर परिसर के दीपमाल के सामने ब्रान्ज की प्रतिमा 7 मार्च 1986 को स्थापित किया ।

मंदिर का पूर्व महाद्वार का निर्माण सन 1938 को रामराव देशपांडे ने किया ।लकड़ी का संभामंडप परली के रामराव शिवाजी उर्फ नानासाहब देशपांडे के मार्गदर्शन में जनसहयोग से निर्माण किया गया।प्रभु वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग समिति की स्थापना 1820 साल में हुई ।इस समिति के पहिले सेक्रेटरी इटालियन व्यापारी गुस्टाओ ऊल्सी थे ।गुस्टाओ ऊल्सी ओर कजिओ ने परली शहर में कपास की 52 जिन की मिल की स्थापना की।।परली व्यापार पेठ से वैद्यनाथ फंड जमा करने के लिए समिति का गठन किया गया। छत्रपति शिवाजी महाराज की सैना परली मार्ग से कर्नाटक की ओर जाती थी। महाराष्ट्र में अन्य ज्योतिर्लिंग तीर्थक्षेत्र में सिर्फ़ भगवान भोलेशंकर की नंदी दिखाई देती है लेकिन वैद्यनाथ परली मंदिर में तीन नंदी दिखाई देते हैं।सुबह वृषभ , दोपहर में चंड और रात के समय चैव ऐसे इन नंदियों के नाम हैं । परली वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग तीर्थक्षेत्र में विभिन्न मंदिर है।संत गुरुलिंग स्वामी ,संत वक्रेश्वर बुवा ,संत तुललीराम महाराज ,साध्वी बकुला बाई ,संत सोपान काका समेत संतों की भूमि भी इसे कहा जाता है।

Created On :   7 March 2024 10:51 AM GMT

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