मध्य प्रदेश: टेंडर की जानकारी नहीं देने पर सिंगरौली के नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को ₹25000 के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस

मध्य प्रदेश: टेंडर की जानकारी नहीं देने पर सिंगरौली के नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को ₹25000 के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस
खरीदी और टेंडर की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी आयुक्त ने दिए आदेश

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सभी नगरीय निकायों में खरीदी और टेंडर की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश जारी किए हैं। आदेश में स्पष्ट किया है कि शासकीय विभाग खरीदी और टेंडर से संबंधित जानकारी को आम आदमी को देने से मना नहीं कर सकते है। वही सिंह ने टेंडर के ही एक मामले में जानकारी नहीं देने पर सिंगरौली के नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को ₹25000 के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस भी जारी किया।

गौरतलब है कि सिंगरौली नगर निगम के एक मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयोग ने को यह आदेश जारी किया। आयुक्त राहुल सिंह ने सभी नगरीय निकायों में खरीदी और टेंडर की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने का फरमान दिया है।

दरअसल सतना के आरटीआई आवेदक उदयभान चतुर्वेदी ने सिंगरौली के नगर निगम से गिनियारी स्वच्छता कचरा प्लांट संबंधित टेंडर की जानकारी मांगी थी। निगम के स्वास्थ्य अधिकारी राम प्रकाश वैश जानकारी को यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि जानकारी विस्तृत है। बाद में 275 पन्नो की जानकारी प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद उपलब्ध कराई लेकिन वह भी आधी अधूरी। अब इस मामले में आयुक्त राहुल सिंह ने पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश के साथ रामप्रकाश वैश को 25000 रुपए का कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 जुलाई की पेशी में तलब किया है।

टेंडर की जानकारी बाहर आने से नही कोई नुकसान

राहुल सिंह ने कहा कि एक बार टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात टेंडर से संबंधित जानकारी बाहर आने से किसी व्यक्ति प्रतियोगी स्थिति को नुकसान नहीं पहुंच सकता है। टेंडर शासकीय विभाग के साथ किया गया एक अनुबंध है। इस तरह का कोई भी अनुबंध पूरा होने के बाद व्यापार गोपनीयता, बौद्विक सम्पदा, वाणिज्यिक विश्वास के नाम पर गोपनीय नहीं रखा जा सकता हैं।

टैक्सपेयर को है हिसाब लेने का हक

सिंह ने कहा कि शासकीय विभाग को अपनी योजनाओं के लिए प्रस्तावित व्ययों और आवंटित बजट की जानकारी आम जनता को उपलब्ध करानी चाहिए ताकि योजनाओं के क्रियान्वयन में कसावट के साथ-साथ पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी। बल्कि आरटीआई के तहत इस तरह की जानकारी देने से खरीदी/टेंडर प्रक्रिया में होने वाली अनियमितताओं पर रोक लगेगी। वही आयोग का यह मानना है कि योजनाओं में खर्च किया गया पैसा टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई से आता है। इसलिए हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि योजनाओं का पैसा सही जगह खर्च हो रहा है यां नहीं।

Created On :   17 Jun 2023 1:14 PM GMT

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