उठे सवाल: डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के बाद सीबीएसई की महाराष्ट्र बोर्ड पर नजर

डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के बाद सीबीएसई की महाराष्ट्र बोर्ड पर नजर
  • कोचिंग क्लास से सांठगांठ
  • विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज न आने की दी जा रही छूट
  • सीबीएसई बोर्ड की कार्रवाई महाराष्ट्र बोर्ड पर सवाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बनाने की चाहत और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय सीधे कोचिंग क्लास में दाखिला दिला रहे हैं। कोचिंग क्लास ऐसे स्कूलों से मिलीभगत कर लेते हैं जिनके पास मान्यता तो हैं लेकिन विद्यार्थी नहीं हैं। विद्यार्थियों से कहा जाता है कि उन्हें स्कूल जाने की भी जरूरत नहीं है और सारी पढ़ाई कोचिंग क्लास में होगी। मुंबई समेत महाराष्ट्र में भी कोचिंग संस्थानों और डमी स्कूलों के बीच यह मिलीभगत बढ़ रही है। कविता (बदला हुआ नाम) की इच्छा थी कि उनका बेटा इंजीनियर बने इसलिए एक नामी कोचिंग क्लास में उसका दाखिला कराने पहुंची। कोचिंग क्लास में बातचीत के दौरान उन्हें बताया गया कि बच्चे को रोजाना करीब छह घंटे क्लास पढ़नी होगी। ऐसे में सविता का सवाल था कि बच्चा इतनी देर क्लास में रहेगा तो स्कूल कब जाएगा। क्लास में बताया गया कि बच्चे को किसी स्कूल में जाने की जरूरत नहीं उसका नाम एक स्कूल में दाखिल कर दिया जाएगा। इसकी फीस भी कोचिंग क्लास में भरनी होगी। सविता के मन में इसे लेकर कई आशंकाएं थीं लेकिन कोचिंग क्लास में उन्हें उदाहरण के साथ बताया गया कि कैसे कई साल से यही सिस्टम काम कर रहा है। दो वर्ष की तैयारी और स्कूल फीस के नाम पर सविता से करीब आठ लाख रुपए वसूले गए।

सीबीएसई बोर्ड की कार्रवाई महाराष्ट्र बोर्ड पर सवाल

सीबीएसई बोर्ड ने हाल ही में देश भर में 20 डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनकी मान्यता रद्द कर दी थी। इनमें से दो स्कूल महाराष्ट्र के थे। एक राहुल इंटरनेशनल स्कूल ठाणे जबकि दूसरा पाइनियर पब्लिक स्कूल पुणे में स्थित था। सीबीएसई ने पाया था कि स्कूल कोचिंग क्लास के लिए डमी के तौर पर काम कर रहे थे। वहां विद्यार्थियों के नाम तो रजिस्टर पर है लेकिन पढ़ने कोई नहीं आता। डमी स्कूलों, कॉलेजों का यह जाल देशभर में फैला है। खासकर कोटा जैसी जगहों पर तैयारी करने करने वाले विद्यार्थियों का अलग-अलग राज्यों के स्कूलों में सिर्फ नाम के लिए दाखिला कराया जाता है। बच्चे सिर्फ बोर्ड परीक्षा देने जाते हैं। कई बड़े कोचिंग क्लासेस ने मुंबई और राज्य के दूसरे हिस्सों में भी शाखाएं खोल रखी है वहां दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिए भी राज्य के स्कूलों महाविद्यालयों से सांठगांठ कर रखी है लेकिन महाराष्ट्र बोर्ड की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नियमों के मुताबिक विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए तभी पात्र माना जाता है जब उनकी अटेंडेंस 80 फीसदी या उससे ज्यादा था।

सर्वांगीण विकास के लिए विद्यार्थियों का स्कूल/कॉलेज में जाना बेहद जरूरी होता है। कोचिंग क्लास में विद्यार्थियों को सिर्फ थियरी पढ़ाई जाती है। सिर्फ कोचिंग क्लास में पढ़ने वाले बच्चे प्रैक्टिकल के साथ दूसरे एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटी से दूर हो जाते हैं। ऐसे विद्यार्थी चीजें रट तो लेते हैं लेकिन उनकी सोचने समझने की क्षमता उस तरह विकसित नहीं हो पाती-सीमा शाह, प्रोफेसर

डॉ दयानंद तिवारी, सेवानिवृत्त प्रोफेसर के मुताबिक कुल ऐसे स्कूल, कॉलेज इस सांठगांठ में शामिल हो जाते हैं जिन्हें मान्यता तो मिल गई है लेकिन वहां विद्यार्थी दाखिला नहीं होते। स्कूल/कॉलेज चलाने के लिए खर्च लगता है ऐसे में पैसों की लालच में कई शिक्षा संस्थान डमी के तौर पर काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन यह ठीक नहीं है ऐसे मामलों को रोकने के लिए शिक्षा विभाग को कठोर कदम उठाने चाहिए

Created On :   19 April 2024 4:56 PM GMT

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