अनदेखी: स्वास्थ्य योजना में अधिकांश निजी अस्पताल संलग्न ही नहीं, जरूरतमंद हो रहे परेशान

स्वास्थ्य योजना में अधिकांश निजी अस्पताल संलग्न ही नहीं, जरूरतमंद हो रहे परेशान
  • नागपुर जिले में 150 से अधिक हैं बड़े अस्पताल
  • 110 से अधिक अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से जुड़ नहीं पाए
  • योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार की अायुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन स्वास्थ्य योजना अंतर्गत जिले में 34 अस्पताल संलग्न हुए हैं। यहां 150 से अधिक बड़े अस्पताल है, लेकिन सरकार ने योजना पर अमल के लिए स्वास्थ्य सेवा के जो पैकेज तय किए हैं, वे निजी अस्पतालों के हित में नहीं हैं, इसलिए सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के अमल को लेकर अधिकांश अस्पतालों में नकारात्मकता है। परिणामस्वरूप उन अस्पतालों में स्वास्थ्य योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।

आयुष्मान भारत योजना से वंचित : जानकारी के अनुसार जिले में 150 से अधिक बड़े निजी अस्पताल हैं। इनमें से 35 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से संलग्न हो चुके हैं। इनमें सरकारी अस्पताल व धर्मदाय अस्पतालों की संख्या 10 है। करीब 110 से अधिक अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से जुड़ नहीं पाए हैं। आयुष्मान भारत को प्रतिसाद नहीं मिलने पर सरकार ने महात्मा ज्योतिबा फुले स्वास्थ्य योजना को एकत्रित किया है। राज्य से 1.50 लाख व केंद्र से 3.50 लाख मिलाकर कुल 5 लाख रुपए तक मुफ्त में उपचार किया जाता है, लेकिन महात्मा फुले जन स्वास्थ्य योजना के सभी लाभार्थी केंद्र की योजना से जुड़ नहीं पाए हैं, इसलिए मरीजों को 5 लाख रुपए की केंद्र की अायुष्मान भारत योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है।

एक ही स्पेशलिटी होने से करना पड़ता है खर्च : योजना अंतर्गत हर साल 15 हजार मरीजों को विविध बीमारियों के लिए उपचार का लाभ मिल रहा है। दोनों योजना अंतर्गत 1209 बीमारियों का उपचार करने की सूची है। जिले में मेडिकल, मेयो, डागा, एम्स, आयुर्वेदिक, एनकेपी सालवे, एनसीआई, आंबेडकर मल्टीस्पेशलिटी, शालिनीताई मेघे, तुकड़ोजी कैंसर हॉस्पिटल सहित अंशतः अनुदानित हॉस्पिटल में योजना अंतर्गत उपचार होता है। जहां किसी एक बीमारी की स्पेशलिटी है, ऐसे अस्पतालों की संख्या 30 बतायी जाती है। यहां योजनाओं का लाभ तो मिलता है, लेकिन दूसरी बीमारियोें के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं, ऐसा सीजएचएस बेनिफिशरिज वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव सुरेश डोरले ने बताया है।

अस्पताल का दर्जा देखकर योजना की दर तय हो : सुरेश डोरले ने सरकार से मांग की है कि, वर्तमान में सरकार द्वारा अस्पतालों के लिए तय की गई दर अस्पतालों के लिए फिफायती नहीं है, इसलिए अस्पताल का दर्जा देखकर आयुष्मान योजना की दर तय करने की आवश्यकता है। अधिकाधिक स्वास्थ्य योजना का लाभ दिलाने के लिए 40-50 बिस्तरों वाले निजी अस्पतालों को भी शामिल करना जरूरी है।

Created On :   19 April 2024 7:48 AM GMT

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