निशाना: संजय राऊत ने कहा - चुनावी रकम के लिए ही हो रही है छापामारी की कार्रवाई

संजय राऊत ने कहा - चुनावी रकम के लिए ही हो रही है छापामारी की कार्रवाई
  • संजय राऊत का छापामार कार्रवाई पर बड़ा बयान
  • चुनावी रकम के लिए ही हो रही है छापामारी की कार्रवाई
  • ब्लैकमेलिंग का लगाया आरोप

डिजिटल डेस्क, नाशिक। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राऊत ने बड़ा निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि दो दिन पहले आयकर विभाग ने सत्ताधारी शिंदे गुट के पदाधिकारियों की कंपनियों पर छापामारी की। राऊत ने दावा किया कि यह कार्रवाई केवल चुनावी निधि संकलन के लिए की गई है, क्योंकि इसके पहले राज्य की कई कंपनियों पर छापेमारी की गई, जिसका आगे क्या हुआ? किसी को भी पता नहीं है। कार्रवाई के नाम पर ब्लॅकमेल कर निधि इकठ्‌ठा हो रही है। राऊत निजी कार्यक्रम के लिए आए थे। इस दौरान मीडिया से बात के दौरान उन्होंने कहा कि कार्रवाई यहां ही क्यों हुई? इस बारे में अब सोचने की जरूरत है। आगामी चुनाव से पहले ब्लॅकमेल कर निधि संकलित किया जा रहा है।जालना की स्टील कंपनियों में छापेमारी के बाद मामले को रफा दफा किया गया। जो कुछ शुरू है, वहीं बहुत ही भयावह है। जिन ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वो किससे संबंधित हैं? यह सामने आना चाहिए।

आयकर विभाग को मुख्य सूत्रधार तक पहुंचना चाहिए। मुंबई, नाशिक सहित जलगांव, पुणे जैसे प्रमुख शहरों के ठेकेदार, निर्माण व्यावसायिक और सत्ताधारी विधायकों की सांठगांठ सभी के सामने आ गई है। सभी की जानकारी दिल्ली तक पहुंच गई है। विपक्ष को विकास कार्य के लिए निधि नहीं मिल रही है, लेकिन सत्ताधारी करोड़ों रुपए का कार्य होने की बात कर रहे हैं। यहां ललित पाटिल, पांढरपेशे पाटिल हैं। उनका मुख्य सूत्रधार कोन है? यह अब स्पष्ट होगा। करोड़ों रुपए के व्यवहार सामने आए हैं।प्रमुख शहरों के ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का निधि मिलता है।

अन्य राजनीतिक दलों के नगरसेवक, विधायक, सांसदों के लिए निधि नहीं है। भाजपा में प्रवेश करने पर तुरंत निधि मिल जाती है। देश बचाने के लिए सभी ने आगे आना चाहिए।

इसलिए गिरफ्तार हुए सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन को गिरफ्तार करने के लिए 7 हजार का अमला आया था। वहां अधिक सीट नहीं है। लेकिन वह भी सीटें लेनी हैं, सोरेन के रोड़ा बनने की संभावना से उन्हें गिरफ्तार किया गया। महाराष्ट्र में घोटाला होने के बाद भी क्लीन चिट दी गई। हसन मुश्रीफ, भावना गवली, प्रफुल्ल पटेल आदि के खिलाफ गंभीर आरोप थे। असम के मुख्यमंत्री अब कहा हैं? रोहित पवारा के कारखाना और अजित पवार के कारखाना का विषय एक जैसा ही है, लेकिन ईडी के कार्यालय के रोहित पवार चक्कर काट रहे हैं, क्योंकि वह किसी से भी नहीं डरते हैं। जनता दल के खजांची पर छापेमारी की गई। इसलिए नीतीश कुमार गए। अरविंद केजरीवाल जाने के लिए तैयार नहीं है।

Created On :   4 Feb 2024 1:32 PM GMT

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