टास्कफोर्स का फैसला: अब कोरोना के मृतकों का अंतिम संस्कार कर सकेंगे परिजन, मृत शरीर से नहीं फैलता वायरस

अब कोरोना के मृतकों का अंतिम संस्कार कर सकेंगे परिजन, मृत शरीर से नहीं फैलता वायरस
  • महाराष्ट्र राज्य कोविड टास्क फोर्स का बड़ा फैसला
  • मृतक के शरीर से नहीं फैलता वायरस
  • परिजन कर सकेंगे मृतकों का अंतिम संस्कार

डिजिटल डेस्क, पुणे। महामारी कोरोना का फैलाव रोकने के उद्देश्य से अब तक इस बीमारी से मरनेवालों के शव उनके परिजनों को नहीं दिया जाता रहा है, उनका अंतिम संस्कार प्रशासन की ओर से किया जाता था। हालाँकि अब कोविड टास्क फ़ोर्स ने एक बड़ा फैसला किया है। इसके अनुसार अब कोरोना से मरनेवाले व्यक्ति का शव उसके परिजनों को सौंपा जाएगा और वे उसका अंतिम संस्कार भी कर सकेंगे। टास्क फ़ोर्स इस मुद्दे पर एकमत हुआ है कि कोरोना का फैलाव हवा से होता है न कि मृतक के शव से। इसलिए कोविड टास्क फ़ोर्स ने कोरोना के मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंपने का फैसला किया है।

महाराष्ट्र राज्य में कोरोना का पहला केस 9 मार्च 2020 को मिला था। तब से पिछले चार साल में काेराेना से 8.1 लाख मरीज पाॅजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 1 लाख 48 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है। अब तक जितने भी लोगों की कोरोना से मौत हुई है, उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी अंत्येष्टि तंत्र यानी उस क्षेत्र की नगर पालिका, नगर निगम की रही है, जहां मौत हुई है। हालांकि, अब ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है।

हाल ही में डॉ.रमन गंगाखेडकर की अध्यक्षता में हुई कोविड टास्क फोर्स की बैठक हुई इसमें यह तय किया गया कि कोविड मरीजों के शवों को अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम, नगर परिषद को देने की जरूरत नहीं है, बल्कि उनके शव अन्य बीमारियों से मरने वालों की तरह उनके रिश्तेदारों को दिए जाने चाहिए।

कोरोना श्वसन तंत्र (श्वसन वायुजनित संक्रमण) की बीमारी है और हवा के जरिए फैलती है। हमें पहले इसके बारे में पता नहीं था। इसके चलते अब तक एहतियात के तौर पर कोरोना से मरनेवाले व्यक्ति के शव उसके परिजनों को नहीं देने के दिशानिर्देश थे। जैसा कि अब स्पष्ट हो गया है कि, ओमीक्रोन हवा से फैलने वाला वायरस हैं।

कोरोना से मरने वाले के शरीर से वायरस नहीं फैलता है। इसलिए अब कोरोना के मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंपने का फैसला कोविड टास्क फोर्स की ओर से लिया गया है, ऐसा राज्य कोविड टास्क फ़ोर्स के अध्यक्ष डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा है।

Created On :   14 Jan 2024 11:33 AM GMT

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