4 लोगों की हत्या के बाद पुजारी बना ये शख्स, 40 साल बाद आया पुलिस की गिरफ्त में

Accused of killing 4 people arrested after 40 years
4 लोगों की हत्या के बाद पुजारी बना ये शख्स, 40 साल बाद आया पुलिस की गिरफ्त में
4 लोगों की हत्या के बाद पुजारी बना ये शख्स, 40 साल बाद आया पुलिस की गिरफ्त में

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। जुर्म की दुनिया में कई बार कुछ अनौखे अपराधियों की कहानी सामने आती है, जो झंकझोर कर रख देती हैं। कुछ ऐसा ही वाक्या है उप्र के मैनपुरी के किशनी थाना क्षेत्र का। यहां 4 लोगों की हत्या के बाद एक शख्स पूरे 40 साल तक पुजारी बना रहा। हालांकि अब उत्तर प्रदेश की मैनपुरी पुलिस ने इस शख्स को गिरफ्तार कर लिया है। 

आरोपी का नाम यतेन्द्र बताया जा रहा है जिसे आज से 40 साल पहले आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। लेकिन जमानत के बाद शख्स वहां से भाग निकला और पुजारी के भेष में रहने लगा था। आइए जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में...

ये है पूरा मामला
मामला 1978 में मैनपुरी के किशनी थाना क्षेत्र के गांव नगला तारा का है। यहां 4 लोगों की हत्या मामला सामने आया था इस हत्या में आरोपी यतेन्द्र का भी हाथ पाया गया था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया था, कुछ समय जेल में बिताने के बाद हाई कोर्ट द्वारा 1981 में उसे जमानत मिल गई थी। जमानत मिलते ही यतेन्द्र वहां से भाग निकला, उसने अपना हुलिया तक बदल ताकी पुलिस उसे पकड़ ना सके। मैनपुरी पुलिस द्वारा रिकार्ड की छानबीन करने के बाद यतेन्द्र पर 10 हजार रुपए का इनाम रखा गया जिसके बाद पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी कर ली है। 

दरअसल, जमीनी विवाद में 5 जून 1978 को नगला तारा गांव के मैनपुरी थाना क्षेत्र में गोली मारकर चार लोगों की हत्या की गई थी, इस हत्या में महेन्द्र सिंह, सरमन, ललित और मदन सिंह की जान चली गई थी। इस हत्या को अकेले यतेन्द्र द्वारा नहीं बल्कि उसके साथ रामकृपाल, राजनाथ, सुरेन्द्र, गजेन्द्र और गोविन्द ने मिल कर अंजाम दिया था।

कोर्ट द्वारा गोविन्द को बरी कर दिया गया था, जबकि अन्य पांच आरोपियों को 1981 में जनपद न्यायालय द्वारा दोषी मानकर आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। इसके बाद पांचों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां उनेहें जमानत मिल गई। पीड़ित  के घरवाले सुप्रीम कोर्ट में अपील की पर वहां भी लोअर कोर्ट के सही ठहराया गया। पुलिस ने दो अपराधि राजनाथ और सुरेन्द्र को फिर से गिरफ्तार कर लिया था। 

केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में इन दोनों की मौत हो गई है, 1981 में बाकी तीन आरोपी रामकृपाल, यतेन्द्र और गजेन्द्र अपनी सम्पत्ति बेचकर भाग गए थे। कोर्ट के द्वारा इन्हें पकड़ने के लिए लगातार दवाब बनाया जा रहा था।

पुलिस द्वारा तीनों आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए मुकर्रर कर दिए गए थे, इस बीच पुलिस ने अपने आदमियों का भी जाल फैला रखा था जिससे मालुम चला की यतेन्द्र पुजारी जैसा भेष बनाकर कहीं मंदिर में रह रहा है और बीच-बीच में अपनी पत्नी और बेटे से मिलने लखनऊ आता रहता है तभी पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया। 

मैनपुरी पुलिस के सूत्रों के हवाले से बात आई है कि कामख्या मंदिर में पुजारी का रूप धारन कर यतेंद्र वहां रह रहा था, लेकिन पुलिस ने साफ तौर पर यह नहीं बताया है कि यतेंद्र किस मंदिर में और किस नाम से रह रहा था। बाकी के दो आरोपियों की तलाश में पुलिस जुटी है।

Created On :   19 July 2021 12:24 PM GMT

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