आषाढ़ी एकादशी पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पत्नी संग की पूजा, वर्धा के कोलते दंपति को मिला महापूजा का सम्मान
- अपने निजी वाहन से मंदिर पहुंचे ठाकरे दंपति
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आषाढ़ी एकादशी पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ पंढरपुर के विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में "महा पूजा" की। मुख्यमंत्री की पत्नी रश्मि ठाकरे और बेटे व प्रदेश के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे, प्रदेश के वन राज्य मंत्री तथा सोलापुर के पालक मंत्री दत्तात्रय भरणे मौजूद थे। इसके पहले मुख्यमंत्री मुंबई से खुद कार चला कर पढंरपुर पहुंचे थे। महापूजा के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पंढरपुर में एक बार फिर से भक्ति का समुद्र उमड़े और वारकारियों की दोबारा पैदल यात्रा शुरू हो। इसके लिए भगवान अब कोरोना का संकट नष्ट करें। मेरे महाराष्ट्र को स्वास्थ्य संपन्न बनाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने विट्ठल- रुक्मिणी मंदिर परिसर में पौधारोपण किया। यह परंपरा का पौधा है। मुझे विश्वास है कि पौधे की जड़ें विश्व भर में और मजबूत होंगी।
वर्धा के कोलते दम्पति महापूजा में शामिल
मुख्यमंत्री के साथ वर्धा के वारकरी दम्पति केशव शिवदास कोलते और इंदूबाई केशव कोलते को पंढपुर के विट्ठल- रुक्मिणी मंदिर में महापूजा में हिस्सा लेने का मौका मिला। पूजा के बाद मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी रश्मि ने कोलते दम्पति का सत्कार किया। मुख्यमंत्री ने कोलते दम्पति को महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन मंडल की ओर से एसटी बसों में सफर के लिए एक साल का मुफ्त पास सौंपा। इस बीच राज्य सरकार की ओर से पंढरपुर नगर परिषद को पांच करोड़ रुपए अनुदान दिया। मुख्यमंत्री ने पंढरपुर की नगराध्यक्षा साधना भोसले को अनुदान का चेक सौंपा।
देवशयनी एकादशी पर देश के कई राज्यों में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन श्रद्धालु उपवास भी रखते हैं। मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश के बीच ठाकरे, निजी वाहन खुद चलाकर मुंबई से 360 किलोमीटर दूर पंढरपुर के लिए निकले। उनके साथ उनकी पत्नी रश्मि भी थीं।मुख्यमंत्री अपने वाहन से पंढरपुर पहुंचकर महापूजा में हिस्सा लिया। इस बार आषाढ़ी एकादशी की शासकीय महापूजा में सहभागी होने का सम्मान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व उनकी पत्नी के साथ विठ्ठल मंदिर के ही केशव शिवदास कोलते और उनकी पत्नी इंदुमति कोलते को प्राप्त हुआ। कोलते दंपति वर्धा से हैं। पिछले 20 वर्षों से कोलते दंपति मंदिर में सेवा दे रहे हैं।
बता दें कि देवशयनी एकादशी का हिंदू धर्म में खास महत्व है, इस खास दिन को "पद्मनाभा" भी कहा जाता है। जब सूर्य का प्रवेश मिथुन राशि में होता है तो एकादशी आती है। इस दिन से ही चातुर्मास का आरंभ हो जाता है। भगवान विष्णु इस दिन आराम करने के लिए क्षीर सागर में चले जाएंगे, यह अवधि चार माह की होती है। अब चार माह तक शुभ व मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर भगवान को उठाया जाता है। इस दिन को "देवोत्थानी एकादशी" कहा जाता है, इस दिन से शुभ कार्य होने शुरू हो जाएंगे। दोनों के बीच के अंतर वाले माह को "चातुर्मास" कहा जाता है। विठ्ठल भगवान की पूजा महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा,और आन्ध्रा में की जाती है। विट्ठल भगवान का मुख्य मंदिर महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित है, इनकी पत्नी का नाम रखुमाई है। पंढरपुर को भक्त "भु-वैकुंठ" अर्थात पृथ्वी पर भगवान विष्णु का निवास स्थान मानते हैं। भक्तों की मान्यता है कि भगवान विठ्ठल के मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता।
Created On :   20 July 2021 5:56 AM GMT