गुरू पूर्णिमा 2021: आज मनाया जा रहा है ​ये पर्व, जानें क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

गुरू पूर्णिमा 2021: आज मनाया जा रहा है ​ये पर्व, जानें क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
गुरू पूर्णिमा 2021: आज मनाया जा रहा है ​ये पर्व, जानें क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
गुरू पूर्णिमा 2021: आज मनाया जा रहा है ​ये पर्व, जानें क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों में गुरू को भगवान से भी बड़ा दर्जा दिया गया है क्योंकि गुरू ही हमें भगवान तक पहुंचने का मार्ग बताते हैं। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि जीवन में गुरु के इस महत्व को दर्शाती है। इसी दिन वेदों के रचयिचा महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास के जन्म पर सदियों से गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। इस वर्ष यह पर्व 24 जुलाई यानि कि शनिवार को मनाया जा रहा है।

वैसे तो भारतवर्ष में कई महान विद्वान गुरु हुए हैं, किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी। पुराणों के अनुसार, वेद व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए उन्हें प्रथम गुरू माना जाता है। आइए जानते हैं गुरू पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...

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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 23 जुलाई, शुक्रवार सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 
तिथि समापन: 24 जुलाई, शनिवार सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक

बन रहा ये योग
इस साल गुरु पूर्णिमा पर सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक विष्कुंभ योग रहेगा। वहीं 25 जुलाई की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक प्रीति योग और इसके बाद आयुष्मान योग लगेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रीति और आयुष्मान योग का एक साथ बनना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है। 

पूजा विधि
- गुरु पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त हों और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। 
- घर के पूजा स्थल पर लगी देवी-देवताओं को प्रणाम करते हुए उनकी विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करें।
- संभव हो तो पूजा के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनकर ही गुरु पूर्णिमा की पूजा करें।
- पूजा के दौरान घर की उत्तर दिशा में सफेद वस्त्र पर गुरु का चित्र रखें। 
- यदि आपके गुरू आपके पास हैं या आश्रम में हैं तो वहां पर इसका प्रबंध करें।

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- इसके बाद आप अपना नाम, अपने गौत्र का उच्चारण करके हाथ में जल लेकर गुरू पूजा का संकल्प लें।
- फिर भगवान का ध्यान करते हुए गुरू के चरण धोएं।
- इसके बाद गुरु को फूलों की माला अर्पित करें। 
- आखिर में गुरू के चित्र या साक्षात् गुरु की आरती उतारकर उनसे आशीर्वाद मांगे। 
- यदि आपके गुरू आपके पास हैं या आश्रम में हैं तो पूजा करने के बाद अपने गुरु के पास जाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।

इन मंत्रों का कर सकतें जाप

- गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वराय
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः
- ओम् गुरुभ्यो नमः
- ओम् गुं गुरुभ्यो नमः
- ओम् परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:
- ओम् वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।

Created On :   22 July 2021 5:11 AM GMT

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