संकष्टी चतुर्थी व्रत: आज करें भगवान गणेश के छठवें रूप की पूजा, जानें मुहूर्त

Sankashti Chaturthi fast: worship the sixth form of Lord Ganesha today
संकष्टी चतुर्थी व्रत: आज करें भगवान गणेश के छठवें रूप की पूजा, जानें मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी व्रत: आज करें भगवान गणेश के छठवें रूप की पूजा, जानें मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। वैसे तो हर पूजा के पहले गणेश जी की पूजा होती है, लेकिन प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इनमें संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। फाल्गुन के महीने की संकष्टी चतुर्थी 12 फरवरी बुधवार को मनाई जा रही है।

आज के दिन गणेश भगवान के छठवें रूप "द्विजप्रिय" की पूजा पूजा अर्चना की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश भगवान के इस रूप की पूजा अर्चना करने से यश, धन, वैभव और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि...

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शुभ मुहूर्त:
तिथि शुभारम्भ: 12 फरवरी 2 बजकर 22 मिनट से 
तिथि समापन: 12 फरवरी रात 11 बजकर 39 मिनट तक

व्रत विधि
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्‍यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।

पूजन विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें। भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।

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इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें. इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

Created On :   12 Feb 2020 2:24 AM GMT

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