जानें इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जानें इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
जानें इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
शरद पूर्णिमा 2021 जानें इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत को आश्विन पूर्णिमा, कोजगारी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जानते हैं। इस वर्ष ये पूर्णिमा 20 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जा रही है। शरद पूर्णिमा पर इस बार कुछ तिथियों के घटने बढ़ने के चलते असमंजस की स्थिति बनी रही है। पंचांग भेद होने के कारण कई स्थानों पर यह पर्व 19 अक्टूबर यानी कि मंगलवार को मनाया गया। वहीं कई जगह 20 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जा रहा है।

इस पूर्णिमा की रात मां के विशेष भजन कीर्तन किए जाते हैं। इस रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। साथ ही इस रात से शीत ऋतु का आरंभ भी होता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा में चंद्रमा अपनी किरणों के माध्यम से अमृत गिराते हैं। रावण शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से निकलने वाली किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि में ग्रहण करता था और साथ ही पुनर्यौवन शक्ति प्राप्त करता था।

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शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 19 अक्टूबर, मंगलवार शाम 07 बजे से 
पूर्णिमा तिथि समापन: 20 अक्टूबर, बुधवार रात 08 बजकर 20 मिनट तक

व्रत और पूजा विधि
- इस दिन व्रती सूर्योदय से पूर्व उठें और नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें।
- इसके बाद सूर्यदेव से जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। 
- पूर्णिमा के दिन सुबह में ईष्ट देव का पूजन करें। 

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- इन्द्र और महालक्ष्मी का पूजन कर घी का दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करें।
- इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। 
- रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। 
- इस दिन मंदिर में खीर आदि दान करने का भी विधान है।
- इस दिन ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करें।

Created On :   18 Oct 2021 11:56 AM GMT

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