शिव चतुर्दशी का व्रत करने से शिव जी होंगे प्रसन्न

Shiv Chaturdashi Vrat Katha, Vrat Vidhi and Significance
शिव चतुर्दशी का व्रत करने से शिव जी होंगे प्रसन्न
शिव चतुर्दशी का व्रत करने से शिव जी होंगे प्रसन्न

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस बार शिव चतुर्दशी 12 जून 2018 को पड़ रही है। ज्येष्ठ अधिक मास में पड़ने से इस व्रत का कई गुना फल प्राप्त होगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ शिव परिवार के सभी सदस्यों की उपासना जाती है। सुख-शांति की कामना के लिए शिव का पूजन किया जाता है।

इस दिन भगवान शिव पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन पूरे विधि-विधान एवं मंत्र जाप से शिव की पूजा करने से मनुष्य काम-क्रोध, लोभ-मोह आदि के बंधन से मुक्त हो जाता है।

भविष्यपुराण के अनुसार प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भगवान शिव को समर्पित है। इसलिए इसे शिव चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान शिव का पूजन और व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि के बंधन से मुक्त हो जाता है।

 


शिव चतुर्दशी व्रत विधि  

शिव चतुर्दशी व्रत में भगवान शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी और शिवगणों की पूजा की जाती है। पूजा के प्रारम्भ में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इस अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर, चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से स्नान कराया जाता है।अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं।  

अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रुप में चढा़या जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन करना चाहिए। चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए। शिवजी के कुछ विशेष मंत्र निम्न हैं: 

“ऊँ नम: शिवाय” या ” शिवाय नम:" 

रात को सोते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक। 
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम्।। 
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू। 
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः।। 
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे। 
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः।।

मान्यता है कि शिव मंत्रों का जाप शिवालय यानि शिव मंदिर या घर के पूर्व भाग में बैठकर करने से अधिक फल प्राप्त होता है। चतुर्दशी के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराके स्वयं भोजन करना चाहिए। शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा उसके स्वयं के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवलोक जाता है।

 


इन मंत्रों का करें जाप

शिव चतुर्दशी पर इन मंत्रों से शिव का पूजन करने से जीवन की कठिन से कठिन समस्या भी दूर हो जाती है।

शिव पंचाक्षरी मंत्र - "ॐ नम: शिवाय"। प्रतिदिन एक माला का जप। 

जीवन में कठिन समस्या आने पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके श्रद्धापूर्वक निम्न मंत्र का 1 लाख जप करना चाहिए।

 "ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ" 

समस्त कष्टों से मुक्ति के लिए जपे महामृत्युंजय मंत्र – 

"ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बतकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योपर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ"

एक माला प्रतिदिन जपें।  शिव का विशेष मंत्र - "शिवाय नम:"। 

Created On :   6 Jun 2018 11:20 AM GMT

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