सोमवती अमावस्या 2024: चैत्र अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, भगवान शिव की इस मुहूर्त में पूजा करने से बरसेगी कृपा

चैत्र अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, भगवान शिव की इस मुहूर्त में पूजा करने से बरसेगी कृपा
  • अमावस्या 8 अप्रैल 2024, सोमवार को पड़ रही है
  • महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं
  • पितृ दोष निवारण के लिए भी यह दिन शुभ माना है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व होता है। वहीं साल में कुल 12 अमावस्या की तिथि पड़ती हैं। इनमें भी नाम के अनुरूप अलग अलग मान्यताएं जुड़ी होती हैं। फिलहाल, हिन्दू पंचांग के पहले महीने चैत्र की अमावस्या आने वाली है। यह अमावस्या 8 अप्रैल 2024, सोमवार को पड़ रही है। इसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) कहा गया है। हिंदुओं में इस दिन को लेकर गहरी आस्था है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन पूजा, पाठ, व्रत, स्नान और दान करने से कई यज्ञों का फल मिलता है।

इस अमावस्या के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। वहीं पितृ दोष निवारण के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। वहीं इस वर्ष सोमवती अमावस्या पर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 8 अप्रैल 2024, सोमवार तड़के 3 बजकर 21 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त: 8 अप्रैल 2024, सोमवार, रात 11 बजकर 50 मिनट तक

इस दिन करें पीपल की पूजा

पीपल के पेड़ को लेकर मान्यता है कि, इसमें पितर और सभी देवों का वास होता है। माना जाता है कि, सोमवती अमावस्या के दिन जो दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं, उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। वहीं सुहागन महिलाएं पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं।

बन रहे हैं ये शुभ संयोग

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सोमवती अमावस्या की तिथि पर इंद्र योग बन रहा है। इस योग को लेकर कहा जाता है कि, जो भी व्यक्ति इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करता है उसे जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है। यह योग 8 अप्रैल की शाम 06:14 बजे तक रहेगा। यही नहीं रात 11:50 बजे तक भगवान शिव और मां पार्वती संग रहने से पूजा का शुभ फल प्राप्त होगा। शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान शिव माता पार्वती के साथ हों, तो रुद्राभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा इस अमावस्या पर किए गए दान-पुण्य और तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   6 April 2024 6:51 AM GMT

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