स्किल डेवलपमेंट से होगा आत्मनिर्भर भारत का निर्माण : प्रो. संजय द्विवेदी

Self-reliant India will be built through skill development: Prof. Sanjay Dwivedi
स्किल डेवलपमेंट से होगा आत्मनिर्भर भारत का निर्माण : प्रो. संजय द्विवेदी
राजस्थान स्किल डेवलपमेंट से होगा आत्मनिर्भर भारत का निर्माण : प्रो. संजय द्विवेदी
हाईलाइट
  • आईआईएमसी के महानिदेशक ने दिया समाधानमूलक पत्रकारिता पर जोर

डिजिटल डेस्क, जोधपुर। स्किल डेवलपमेंट से समाज आत्मनिर्भर बनता है। भारत की कौशल के क्षेत्र में गौरवमयी परंपरा रही है। यहां के लोगों ने अपनी संस्कृति एवं हुनर से विश्व को चमत्कृत किया है।" यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित  करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. एल. श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार पदम मेहता एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. एस. के. मीना सहित समस्त संकाय सदस्य, शोधार्थी और विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

"मीडिया के सामाजिक और राजनीतिक सरोकार" विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज के निर्माण के लिए अच्छे सामाजिक मूल्यों की स्थापना जरूरी है। एक अच्छा मनुष्य ही अच्छा पत्रकार बन सकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से अधिकार बोध के साथ कर्तव्य बोध को भी जागृत करने की आवश्यकता है। वर्तमान युग में समस्या के बजाय समाधानमूलक पत्रकारिता की आवश्यकता है। मीडिया का सामाजिक सरोकार इसी प्रकार के संवाद को बल देने का है।

आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार आधुनिक शिक्षा में नैतिक शिक्षा, पर्यावरण जागरूकता एवं कौशल विकास पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले मनुष्य ने प्रकृति के साथ समझौता किया। उसका वहां के जंगल, नदियों, पर्वतों से रिश्ता था। आज उसी पर्यावरण प्रेम की आवश्यकता है।

मीडिया साक्षरता की आवश्यकता : प्रो. द्विवेदी

अपने जोधपुर प्रवास के दौरान प्रो. संजय द्विवेदी ने समाचार पत्र "दैनिक जलते दीप" के संस्थापक संपादक स्व. माणक मेहता की 48वीं पुण्यतिथि पर आयोजित संगोष्ठी को भी संबोधित किया। "डिजिटल समय में प्रिंट मीडिया" विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है, इसे रोका नहीं जा सकता, ऐसे में परिवर्तन के साथ ही चलना होगा। उन्होंने कहा कि आज विश्व की 51 प्रतिशत से अधिक की आबादी सोशल मीडिया पर है, ऐसे में आमजन तक मीडिया की आसान पहुंच हो गई है। मीडिया को एक छत के नीचे लाने का कार्य डिजिटल मीडिया ने किया है, जहां खबरे पढ़ने के अलावा देखी और सुनी जा सकती हैं। 

भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक ने कहा कि मीडिया खत्म नहीं हो रहा है, बल्कि उसका स्वरूप बदल रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया के उपयोग से अलग तरह के सामाजिक संकट भी पैदा हो रहे हैं। ऐसे में मीडिया साक्षरता की आवश्यकता है। गांधीजी के "बुरा ना देखें, बुरा ना सुने और बुरा ना बोलें" की तर्ज पर उन्होंने कहा कि अब "बुरा ना शेयर करें, बुरा ना टाइप करें और बुरा ना लाइक करें"। 

संगोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जस्टिस एनएन माथुर ने की। इस अवसर पर जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति प्रो. के. एल. श्रीवास्तव, सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास, वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. कल्याण सिंह शेखावत, वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोडा एवं "दैनिक जलते दीप" के समाचार संपादक गुरूदत्त अवस्थी भी मौजूद रहे।

Created On :   13 Dec 2022 1:06 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story