'सुप्रीम' फैसला: ईवीएम पर बड़ा फैसला, बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की मांग खारिज, नहीं होगी ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों से 100 प्रतिशत मिलान

ईवीएम पर बड़ा फैसला, बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की मांग खारिज, नहीं होगी ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों से 100 प्रतिशत मिलान
  • ईवीएम और वीवीपैट पर एससी का बड़ा फैसला
  • बैलेट पेपर से मतददान की मांग खारिज
  • ईवीएम से डाले गए सभी वोटों के सत्यापन की मांग खारिज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की जगह बैलट पेपर से वोटिंग कराने समेत ईवीएम से जुड़ी अन्य सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को खारिज कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम से मतदान के बाद निकलने वाले सभी वीवीपैट स्लिप के मिलान की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर के चुनाव आयोग के एक अहम सुझाव भी दिया है।

45 दिनों तक सुरक्षित रखना होगा वीवीपैट स्लिप

पीठ ने भविष्य में वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) स्लिप में बार कोड लगाने पर विचार करने को कहा है। इसके अलावा अदालत ने ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग को भी खारिज कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने कहा है कि चुनाव में दूसरे या तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार 5 प्रतिशत ईवीएम की जांच करवा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदान के बाद कम से कम 45 दिनों तक वीवीपैट स्लिप को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। ईसी को यह निर्देश इसीलिए दिया गया है ताकि किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में ईवीएम और वीवीपैट स्लिप का मिलान किया जा सके।

7 दिन के अंदर करनी होगी शिकायत

सुप्रीम कोर्ट ने मतगणना के बाद भी ईवीएम और वीवीपैट को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। चुनावी नतीजे में दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले उम्मीदवार मतगणना के 7 दिनों के अंदर किसी भी तरह का संदेह होने पर वीवीपैट स्लिप के मिलान के लिए अर्जी दे सकते हैं। खास बात यह है कि जांच में आने वाला खर्च शिकायत करने वाले उम्मीदवार को उठाना पड़ेगा।

मामले पर पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?

सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के साथ ईवीएम का उपयोग करके डाले गए सभी वोटों के सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उम्मीद जताई जा रही थी कि अदालत उसी दिन अपना फैसला सुना देगी। हालांकि, चुनाव आयोग के अधिकारी से कुछ सवालों पर स्पष्टीकरण मांगने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। चुनावी प्रणाली में मतदाताओं की संतुष्टि और विश्वास के महत्व को सर्वोपरि मानते हुए शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं से कहा था कि हर बात पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा था कि कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है क्योंकि ईवीएम पर 'अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों' (एफएक्यू) के बारे में चुनाव आयोग ने जो उत्तर दिए हैं उनमें कुछ भ्रम है। पीठ ने ईसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एश्वर्या भाटी से कहा था कि निष्कर्षों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं और इसीलिए हमने स्पष्टीकरण मांगने का सोचा। पीठ ने भाटी को वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नितेश कुमार व्यास को दोपहर दो बजे बुलाने के लिए कहा। व्यास ने इससे पहले ईवीएम की कार्यप्रणाली पर अदालत में एक प्रस्तुति दी थी। इसमें ईवीएम के भंडारण, ईवीएम की नियंत्रण इकाई में माइक्रोचिप और अन्य पहलुओं से संबंधित कुछ बिंदुओं पर बात की, जिनके संबंध में अदालत ने स्पष्टीकरण मांगा था।

Created On :   26 April 2024 6:32 AM GMT

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