मुरैना से सीधी पहुंचे 27 घड़ियाल के बच्चे , ब्रीडिंग सेंटर जोगदहा में रखने की थी योजना

27 alligators reached Sidhi, plan was to keep in Breeding Center
मुरैना से सीधी पहुंचे 27 घड़ियाल के बच्चे , ब्रीडिंग सेंटर जोगदहा में रखने की थी योजना
मुरैना से सीधी पहुंचे 27 घड़ियाल के बच्चे , ब्रीडिंग सेंटर जोगदहा में रखने की थी योजना

डिजिटल डेस्क, सीधी। संजय टाईगर रिजर्व सीधी के सोन घड़ियाल अभ्यारण्य जोगदहा में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य मुरैना से 27 घड़ियाल के बच्चे रविवार की शाम पहुंच चुके हैं। इनमें 3 नर, 24 मादा शामिल हैं। इनके साथ ही 30 कछुआ को लाया गया है। जोगदहा में ब्रीडिंग सेंटर का निर्माण अधूरा होने से विभागीय अधिकारी अब असमंजस में हैं कि घड़ियाल के शिशुओं को कहां रखा जाय और इन्हें खाने के लिये क्या दिया जाय। ब्रीडिंग सेंटर की व्यवस्था न होने से विभागीय अधिकारियों द्वारा नर घड़ियाल शिशुओं को सोन नदी के जोगदहा एवं बीछी घाटों में छोड़ने की योजना बनाई जा रही है। बताया गया है कि अगर बिना मां के बच्चों को नदी में छोड़ दिया जायेगा तो इनका जीवन संकट में पड़ सकता है। मां के साथ घड़ियाल बच्चे जब पानी में रहते हैं तो उन्हें पानी में चलने और शिकार करने का गुर सीखने में मदद मिलती है। मां अपने बच्चों को सुरक्षा के लिहाज से हमेशा अपनी पीठ में लेकर पानी में तैरती है। बिना मां के घड़ियाल के बच्चे सोन घड़ियाल अभ्यारण्य में कैसे सुरक्षित रह पायेंगे यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।

जानकारों की मानें तो चार वर्ष की उम्र के बाद ही घड़ियाल शिशुओं को पानी में छोड़ा जा सकता है। क्योंकि इस अवधि तक यह पूरी तरह से वयस्क हो जाते हैं और अपनी सुरक्षा कर पाने में समर्थ हो जाते हैं। यदि सोन घड़ियाल अभ्यारण्य जोगदहा लाये गये दो माह के घड़ियाल शिशुओं को नदी के पानी में छोड़ा जाता है तो अंदर रहने वाले मगर स्वयं अपना आहार इन्हें बना लेते हैं। इसी सुरक्षा के लिहाज से सोन घड़ियाल अभ्यारण्य जोगदहा में ब्रीडिंग सेंटर के निर्माण के लिये वर्ष 2017-18 में करीब 14 लाख का बजट वन विभाग भोपाल द्वारा उपलब्ध कराया गया था। तत्कालीन अधिकारियों द्वारा आधा अधूरा कार्य कराने के साथ ही आवंटित बजट का भी गोलमाल कर लिया गया। बजट के अभाव में ब्रीडिंग सेंटर का निर्माण कार्य लंबे समय से बंद है। सोन घड़ियाल अभ्यारण्य सोन नदी में पाये जाने वाले घड़ियाल व मगरों की सुरक्षा कर पाने में सक्षम नहीं दिखते।

विगत माह जोगदहा में एक नर घड़ियाल के मुख में मछली का जाल फंस गया था, जिसे आज तक निकाला नही जा सका है। जोगदहा घाट में जहां घड़ियाल पाये जाते हैं, उसके आसपास के क्षेत्रों में मछली मारने का काम काफी किया जाता है। जिसके कारण मछली मारने के दौरान मगर और घड़ियाल को भी शिकारी नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं हटते। विभाग के अधिकारी जोगदहा घाट व उसके आसपास मछली मारने पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रहे हैं, जिसके चलते आये दिन घड़ियाल को नुकसान पहुंचता रहता है। 

विभाग के पास नहीं है घड़ियाल की सही जानकारी 
सोन घड़ियाल अभ्यारण्य के जोगदहा घाट को घड़ियाल का प्रजनन केन्द्र बनाया गया है। जिससे घड़ियाल की संख्या बढ़ाने में मदद मिल सके। व्यवस्था के लिये विभाग को हर साल भारी भरकम बजट भी मिलता है। किंतु विभागीय अधिकारियों की मनमानी के चलते घड़ियाल की संख्या में वृद्धि के बजाय करीब एक दशक पूर्व से ही घटना शुरू हो गई थी। वर्तमान में जोगदहा घाट में कितने घड़ियाल हैं, इसकी वास्तविक जानकारी विभाग के अधिकारियों को नहीं है। यह अवश्य है कि वह अपनी मनमानी को छिपाने के लिये दो-चार घड़ियाल बताते हैं। उधर जानकारों का कहना है कि वर्तमान में जोगदहा घाट को छोड़कर कहीं भी घड़ियाल और मगर दिखाई नहीं पड़ते। सोन घड़ियाल अभ्यारण्य में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी घड़ियाल और मगर की सुरक्षा के बजाय सोन नदी से अवैध रेत उत्खनन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। रेत के अवैध उत्खनन से होने वाली आय के चलते लंबे अर्से से कर्मचारी एक ही स्थान में जमे हुये हैं। घड़ियाल की सुरक्षा व्यवस्था नाम मात्र की रह गई है। उसकी सुरक्षा की आड़ में लगे कर्मचारी अवैध रेत उत्खनन पर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। 

मुरैना से 27 घड़ियाल के शिशुओं को सोन घड़ियाल अभ्यारण्य सीधी के जोगदहा घाट में रविवार को लाया गया है। इन्हें सोन नदी के जोगदहा एवं बीछी में छोड़ा जायेगा। 
मनोज कटारिया, संयुक्त संचालक, संजय टाईगर रिजर्व सीधी 

Created On :   11 Feb 2019 11:32 AM GMT

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