सबरीमाला पर 10 जरूरी बातें: 12 साल चली सुनवाई, 3 बार सरकार ने बदला रुख

A long fight for woman rights, main points of Sabarimala temple Conflict
सबरीमाला पर 10 जरूरी बातें: 12 साल चली सुनवाई, 3 बार सरकार ने बदला रुख
सबरीमाला पर 10 जरूरी बातें: 12 साल चली सुनवाई, 3 बार सरकार ने बदला रुख
हाईलाइट
  • अब 10 से 50 साल उम्र की महिलाएं भी सबरीमाला मंदिर में कर सकेंगी प्रवेश
  • इंडियन यंग वकील एसोसिएशन ने 2006 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे छुूपी है महिलाओं की लंबी लड़ाई की कहानी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश का अधिकार शुक्रवार को अदालत ने दे दिया है। एक मंदिर में महिलाओं की एंट्री की बात सुनने में भले ही छोटी लगती हो, लेकिन इसके पीछे एक लंबी लड़ाई की कहानी छुपी हुई है। इस केस में पिछले 12 साल से सुनवाई चल रही थी। इस मामले में राज्य सरकार ने भी तीन बार कोर्ट में अपना रुख बदला था।  

 

1. मंदिर प्रबंधन चाहता है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाएं मंदिर में प्रवेश न करें, लेकिन स्पष्ट कुछ न लिखकर अधिसूचना में 10 से 50 साल की महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।

2. 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटाने की मांग पर 2006 में इंडियन यंग वकील एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

 3. एसोसिएशन ने इसे अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया था। एसोसिएशन ने कहा कि मंदिर का नियम भेदभाव पैदा करता है और धर्म के प्रसार के अधिकार को भी बाधित करता है।

4. सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त 2006 को इस मामले में नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने 7 मार्च 2008 को सुनवाई के लिए 3 जजों की बेंच के पास भेजा था।

5. तकरीबन 7 साल तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा और 11 जनवरी 2016 को सात साल बाद इसमें सुनवाई हुई। 20 फरवरी 2017 को अदालत ने इस मामले को संवैधानिक बेंच के पास भेजने की इच्छा जाहिर की थी।

6. बेंच ने कहा था कि इस मामले में जल्द निर्णय ले लिया जाएगा और यह संभावना भी तलाशी जा रही है कि इसे संवैधानिक बेंच को भेजा जाना चाहिए या नहीं। 

 7. केरल सरकार ने 3 बार इस मामले में अपना रुख बदला। 2006 में जब याचिका दायर हुई तो केरल सरकार ने प्रवेश पर रोक हटाने का समर्थन किया।

8. जनवरी 2016 में तत्कालीन सरकार ने प्रतिबंध का समर्थन किया। 2016 में सरकार ने फिर अपना स्टैंड बदला और मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की वकालत की।

9. 13 अक्टूबर 2017 को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, 0जस्टिस आर बनुमाथी और अशोक भूषण की 3 सदस्यीय बेंच ने मामले को संवैधानिक बैंच के पास भेज दिया। 

10. आठ दिन तक चली सुनवाई के बाद संवैधानिक बेंच ने 1 अगस्त 2018 को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसके बाद शुक्रवार को फैसला सुनाया गया।

Created On :   28 Sep 2018 6:20 AM GMT

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