शौरी ने कहा कि अभिव्यक्ति की धारा को प्रभावित होने के प्रयास होते रहे है। यह कहा जा सकता है कि अब यह प्रयास और अधिक बढ़ गया है। कई बदलाव देखें जा रहे है। काम पर बने रहना जोखिम भरा हो जाता है। लेकिन विश्वसनीयता कायम रखना होगा। विश्वसनीयता को कोई बाहरी व्यक्ति नहीं बल्कि आंतरिक कमजोरियां प्रभावित करती है। उन्होंने जनता से जुड़े विषयों पर अधिक ध्यान देने को कहा। उन्होंने पत्रकारिता के ध्येय को पूरा करने के मार्ग में आनेवाली बाधाओं को दूर करने की कुछ उपाययोजनाएं भी सुझायी। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश द्वादशीवार को जीवन गौरव पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कृत किए गए अन्य पत्रकारों में विजय बाविस्कर, उदय निरगुडकर, सुनील चावके, निशांत सरवणकर, विजय गायकवाड, रामराव जगताप,न.मा जोशी व दीपा कदम शामिल है। कार्यक्रम की प्रस्तावना आशीष देशमुख ने रखी। मंच संचालन श्वेता शेलगांवकर ने किया। पूर्व न्यायमूर्ति विकास शिरपुरकर,जवाहर चरडे व पुरस्कार विजेता चयनकर्ता मंंच पर उपस्थित थे।
राफेल को लेकर दी है पुनर्याचिका
पत्रकारों से चर्चा में शौरी ने कहा कि राफेल के मामले में सरकार सच छिपाने का पूरा प्रयास कर रही है। इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुनर्याचिका दी है। उम्मीद है याचिका मंजूर होगी और सुनवाई होगी। एक खबर का जिक्र करते हुए शौरी ने कहा कि राफेल मामले का सच धीरे धीरे सामने आ रहा है।