मीडिया पर संकट नहीं -दुबे: व्याख्यानमाला में प्रसार माध्यमों की भूमिका और लोकतंत्र पर रखे विचार

Communication should be maintained in between- Prakash Dubey
मीडिया पर संकट नहीं -दुबे: व्याख्यानमाला में प्रसार माध्यमों की भूमिका और लोकतंत्र पर रखे विचार
मीडिया पर संकट नहीं -दुबे: व्याख्यानमाला में प्रसार माध्यमों की भूमिका और लोकतंत्र पर रखे विचार

डिजिटल डेस्क, वर्धा। प्रसार माध्यम व संवाद माध्यम में अंतर है। आपस में संवाद बना रहना चाहिए। उक्त विचार दैनिक भास्कर के समूह संपादक प्रकाश दुबे ने व्यक्त किए। वे प्राचार्य दिनकरराव मेघे स्मृति ट्रस्ट द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के अवसर पर बोल रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, विनोबा भावे, भदंत कौशल की वर्धा नगरी में प्रसार माध्यमों की भूमिका एवं लोकतंत्र विषय पर चर्चा हो रही है। व्याख्यानमाला में पुण्यप्रसून वाजपेयी ने मीडिया क्षेत्र पर संकट आने की संभावना जतायी है। ऐसा समय नहीं आया है। हताश व निराश होने की जरूरत नहीं है। लोकतंत्र पर लोगों की आस्था है। उन्होंने आगे कहा कि प्राचार्य स्व. दिनकरराव मेघे की स्मृति में प्रति वर्ष व्याख्यानमाला लेना बड़ी बात है। विदर्भ क्षेत्र में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में स्व. दिनकरराव मेघे का अहम योगदान रहा है।  महात्मा गांधी व डा. बाबासाहब आंबेडकर भी समाचार पत्र निकालते थे। इनकी समाचार पत्र की प्रसार संख्या से अधिक कही गई बात अहमियत रखती थी। 

इस अवसर पर पुण्य प्रसून वाजपेयी ने कहा कि वर्तमान सरकार से सवाल करना सरकार को बर्दाश्त नहीं है। सरकार चाहती है कि मीडिया हमारा गुणगान करते रहे। लेकिन सरकार के विरोध में खबर दिखाएंगे तो मीडिया हाउस से बाहर कर दिया जाएगा। एक तरह से सरकार ने अघोषित इमरजेंसी लगा दी है। वर्तमान सरकार लोकतांत्रिक नहीं है। देश में चुनाव रुपए वाले व बाहुबली तक सीमित होकर रह गया है।  मगनवाड़ी मार्ग पर स्थित सत्यनारायण बजाज सार्वजनिक वाचनालय में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला का विषय प्रसार माध्यमों की भूमिका और लोकतंत्र था।

व्याख्यानमाला में श्री वाजपेयी ने आगे कहा कि चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियां प्रचार में हजारों-करोड़ों रुपए खर्च कर रही है,जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है। देश का चुनाव जीरो बजट पर होना चाहिए। हमारा  देश शानदार है और वर्तमान सरकार भी। लेकिन सरकार की फेल होती योजनाएं देखना व उस पर लिखने पर ऐतराज है। दिल्ली में बिग बास बैठा है। आप क्या खा रहे हैं। आप क्या पी रहे हैं उस पर भी बिगबास की नजर है। उन्होंने आगे कहा कि देश के किसानों की समस्या जस की तस है। देश में सिर्फ 18 फीसदी सिंचाई व्यवस्था है, जबकि देश के 82 फीसदी किसान बारिश पर निर्भर है। किसान जो फसल उगाता है उस फसल का दाम किसान तय करें तो वे समृद्ध बनेंगे। 

106 घोषणाओं के प्रचार पर 4 हजार करोड़ रुपए खर्च - केन्द्र सरकार ने साढ़े चार साल से106 घोषणाएं की हैं। इन १०६ घोषणाएं के लिए सरकार ने प्रचार के लिए 4 हजार करोड़ रुपए खर्च कर दिए।

व्याख्यानमाला की अध्यक्षता दैनिक भास्कर के समूह संपादक प्रकाश दुबे ने की। मंच पर श्रीकांत बाराहाते, सविता दिनकरराव मेघे, नागपुर के एड. ठोगरे आदि उपस्थित थे। इस समय पुण्यप्रसून वाजपेयी का स्वागत एड. प्रकाश मेघे ने किया। समूह संपादक प्रकाश दुबे का स्वागत  प्रा. किरण मेघे ने किया। नागपुर के एड. ठोगरे का स्वागत डा. उदय मेघे ने किया और श्रीकांत बाराहाते का स्वागत राजेश बालसराफ ने किया। व्याख्यानमाला समापन पर पूर्व सांसद दत्ता मेघे ने पुण्यप्रसून वाजपेयी व प्रकाश दुबे का शाल व श्रीफल देकर सम्मान किया। संचालन निलिमा मेघे ने आभार डा. उदय मेघे ने माना। व्याख्यानमाला में करीब डेढ़ घंटे तक पुण्यप्रसून वाजपेयी ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर शहर व पड़ोसी शहरों के प्रबुद्ध जन, डाक्टर, वकील, प्राध्यापक सैकड़ों की संख्या मे मौजूद थे।

Created On :   22 Oct 2018 9:53 AM GMT

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