सस्ती दवाइयां होने के बावजूद नागपुर विभाग में नहीं खुला एक भी जन-औषिधि केंद्र

Despite having cheaper medicine, no public health center open in nagpur
सस्ती दवाइयां होने के बावजूद नागपुर विभाग में नहीं खुला एक भी जन-औषिधि केंद्र
सस्ती दवाइयां होने के बावजूद नागपुर विभाग में नहीं खुला एक भी जन-औषिधि केंद्र

डिजिटल डेस्क ,नागपुर।  सरकार स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर गंभीर है। विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार का मानना है कि जन औषधि केंद्र खोल दिए जाने से गरीबों को काफी राहत मिलेगी। इन केंद्रों से कुछ दवाएं 20-50 प्रतिशत कम कीमत में खरीदी जा सकेंगी। इसलिए निर्णय हुआ कि देश में वर्ष 2020 तक हर ब्लॉक स्तर पर कम से कम एक जन औषधि केंद्र खोला जाएगा। हाल ही में इस योजना को कारगर बनाने के लिए घोषणा की गई। 

अधिकारी खुद कन्फ्यूजन में

जन औषधि केंद्रों के खुलने पर ग्रामीण स्तर पर लोगों को सस्ती दवाइयां मिल सकेंगी। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के इस योजना की शुरूआत हो चुकी है, लेकिन नागपुर विभाग में अभी तक एक भी जन औषधि केंद्र नहीं खुल पाया है। मजे की बात तो यह है कि संतरानगरी के सरकारी अस्पतालों व संबंधित विभाग से जुड़े अधिकारियों को ही जन औषधि केंद्रों के बारे में ही सही जानकारी नहीं है। उन्हें ही यह बात पता नहीं है कि उनके जिले में यह केंद्र खुले भी हैं या नहीं। इतना ही नहीं, इस केंद्र के बारे में संबंधित विभाग के अधिकारी खुद कन्फ्यूजन में हैं कि आखिर जन औषधि केंद्र है क्या? 

आवेदन आया भी तो कुछ तय नहीं हो पाया 

नागपुर मेडिकल अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. गिरीश भूयार ने इस बारे में बताया कि पिछले माह में इस तरह के केंद्र शुरू करने के बारे में एक आवेदन उनके पास आया था। हालांकि उस आवेदन के बारे में अभी तक कुछ तय नहीं हो पाया है कि इस आवेदन का क्या करें। औषधि केंद्रों के बारे में नागपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भले ही अनजान हैं, लेकिन प्रतिदिन देश में करीब 15 लाख लोग इन केंद्रों से दवाइयां खरीद रहे हैं। नागपुर विभाग के अंतर्गत नागपुर, चंद्रपुर, गोंदिया, भंडारा, वर्धा और गडचिरोली शामिल हैं। इन जिलों में जन औषधि केंद्रों के खुल जाने से यहां की जनता को राहत मिलेगी। वह जरूरी दवाओं को कम कीमत में खरीद सकेंगे। कुछ दवाइयां ऐसी भी हैं कि गरीब तबके के लोग उसे खरीद नहीं पाते हैं।  

20 से 50 प्रतिशत कीमत कम 

सूत्रों के अनुसार, देश में अब तक 5,000 से अधिक जन औषधि केन्द्र खोले जाने की जानकारी है। अब ब्लॉक स्तर पर इन केन्द्रों को खोलने पर विशेष ध्यान सरकार दे रही है। जन औषधि केंद्रों में बाजार से 20 -50 प्रतिशत कम कीमत पर दवाएं मिलती हैं, जिसके कारण बाजार में निजी कंपनियों की दवाएं भी कुछ कम कीमत पर मिलने लगी हैं। 

पात्रता इस प्रकार है

-पहली कैटेगरी में कोई भी व्यक्ति, बेरोजगार फार्मासिस्ट, डॉक्टर, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर स्टोर खोल सकेगा। 
-दूसरी कैटेगरी में ट्रस्ट, एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल, सोसायटी और सेल्फ हेल्प ग्रुप को स्टोर खोलने का मौका मिलेगा। 
-सूत्रों के अनुसार, तीसरी कैटेगरी में राज्य सरकारों द्वारा नॉमिनेट की गई एजेंसी भी यह केंद्र खोल सकती है। 

सरकार मदद भी करेगी

जनऔषधि केंद्र खोलने में करीब 2.5 लाख रुपए तक खर्च आता है। इसके लिए सरकार ही मदद करेगी। इतना ही नहीं, सरकार की ओर से कुछ दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाएंगी। आवेदन फीस और प्रॉसेसिंग फीस को भी खत्म कर दिया गया है। सेंटर के जरिए महीने में जितनी दवाएं बिकेंगी, उन दवाओं का 20 फीसदी कमीशन मिलेगा। यह सेंटर शुरू करने पर पहले 1 लाख रुपए की दवाइयां खरीदनी होगी। बाद में सरकार इसे रिइंबर्समेंट करेगी।

नागपुर विभाग में नहीं है कोई जन औषधि केंद्र 

नागपुर विभाग में कोई भी जन औषधि केंद्र अभी तक नहीं खुल पाया है। इस बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। इसके बारे में जानकारी लेकर ही ज्यादा कुछ मैं बता पाऊंगा।  - डा. संजय जयस्वाल, उप संचालक, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग 

Created On :   11 March 2019 7:38 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story