इसी टाइपराइटर से की गई थी भारत के संविधान की ड्राफ्टिंग, यहां है मौजूद

Drafting of constitution of India was done with this typewriter
इसी टाइपराइटर से की गई थी भारत के संविधान की ड्राफ्टिंग, यहां है मौजूद
इसी टाइपराइटर से की गई थी भारत के संविधान की ड्राफ्टिंग, यहां है मौजूद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कलमेश्वर स्थित शांतिवन वास्तु संग्रहालय में वह टाइपराइटर सुरक्षित है, जिसकी सहायता से संविधान के मजमून की ड्राफ्टिंग की गई थी। इसके अलावा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर से जुड़ी वे वस्तुएं, जिसका वे उपयोग करते थे, यहां रखा हुआ है। उसमें लालटेन और चश्मा प्रमुख है। साथ में भगवान गौतम बुद्ध की मूर्ति भी है। इन चीजों को देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। शांतिवन वस्तु संग्रहालय के संजय पाटील ने बताया कि 1992 में बाबासाहब के पर्सनल सेक्रेटरी नानाचंद्र रत्तू ने वामनराव गोडबोले को यह टाइपराइटर दिया था। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और 26 जनवरी 1950 को भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित हुआ। यह दिवस भारत के गणतंत्र बनने की खुशी में मनाया जाता है। गणतंत्र का अर्थ है हमारा संविधान, हमारी सरकार, हमारे कर्त्तव्य, हमारा अधिकार। इसी व्यवस्था को हम सभी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। इसी दिन स्वतंत्र भारत का नया संविधान लागू हुआ था। यहां कुछ वैसी सामग्री प्रस्तुत की जा रही है, जिसमें गणतंत्र दिवस और भारत के संविधान से जुड़ी बातें शामिल हैं।

नागपुर में भारत का पहला संविधान चौंक
भारत में पहला संविधान चौक होने का कीर्तिमान भी नागपुर के नाम है। इसका इतिहास भी रोचक है। इस चौक का नाम पहले आरबीआई चौक था। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की चौक के किनारे प्रतिमा होने से यह आंदोलन का केंद्र रहा। आए दिन यहां आंदोलन और प्रदर्शन होते हैं। एक दिन वरिष्ठ कवि व साहित्यकार इ.मो. नारनवरे ने सुझाव दिया कि क्यों न इस चौक का नाम संविधान चौक हो। क्योंकि सामने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बगल में महाराष्ट्र विधानभवन और बीच में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा है और तीनों भारतीय संविधान के अभिन्न अंग हैं। फिर क्या था, पूर्व आईएएस ई.जेड. खोब्रागडे के नेतृत्व में इस चौक को संविधान चौक नाम देने का आंदोलन चल पड़ा। हालांकि मनपा इसे पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख का नाम देने वाली थी। जोरदार विरोध हुआ। मनपा ने नामकरण को लेकर आपत्ति-सुझाव मंगाए। 90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने संविधान चौक नाम देने की मांग की। मनपा ने आमसभा में प्रस्ताव रखने की घोषणा की, लेकिन सभा में प्रस्ताव आने के पहले रिपब्लिकन मूवमेंट के कार्यकर्ता नरेश वाहाणे, रवि शेंडे, बबनराव बोंधाले, बालू घरडे, सुधीर धोटे आदि ने 25 नवंबर 2013 की देर रात 12 बजे चौक पर संविधान चौक का नाम फलक लगाकर इसे संविधान चौक नाम दे दिया। इसके बाद औपचारिकता निभाते हुए मनपा ने सदन में प्रस्ताव पारित कर दिया। सुगत बुक डिपो के ऑनर तुलसी पगारे ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले की बात है, हमारी दुकान से संविधान के अनुच्छेद -15 की 1000 से अधिक प्रतियां एक ही दिन में बिक गई थीं।  हमारे पास इसकी 950 प्रतियां ही उपलब्ध थीं। हमने बाकी प्रतियां बाहर से अरेंज करके दी। समानता के अधिकार की बात से जुड़े इस अनुच्छेद को उत्सुकतावश मैंने भी पढ़ा। तब समझ में आया कि आज हर व्यक्ति में जागरूकता आ गई है। खासकर जो युवा सर्विस में है, वह भी संविधान को जानना-समझना चाहता है। दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 15 में सामाजिक समता का अधिकार उल्लेखित है। इसके खण्ड (1) और खण्ड (2) में अधिकारों का वर्णन है, जबकि खण्ड 3 और 4 में अपवादों के उपबंध हैं।

संविधान की ओरिजनल कॉपी आएगी लोगों के सामने
भारतीय संविधान की ओरिजनल कॉपी जल्द ही नागरिकों के सामने आएगी। सरकार द्वारा दीक्षाभूमि का विकास किया जा रहा है। 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि इस विकास के लिए दी गई है। इसमें म्यूजियम सहित विविध विकास कार्य होंगे। विकास कार्य पूरा होने के बाद दीक्षाभूमि स्मारक समिति द्वारा म्यूजियम में भारतीय संविधान की मूल प्रति रखी जाएगी। कहा जाता है कि 26 जनवरी को संविधान लागू होने के बाद देश में भारतीय संविधान की नाममात्र ओरिजनल कॉपी थी। 1960 के करीब तत्कालीन लोकसभा सदस्य व आरपीआई नेता कर्मवीर दादासाहब गायकवाड ने इसमें एक मूल प्रति नागपुर में लाई थी, जिसे दीक्षाभूमि को भेंट किया गया था। तब से यह मूल कॉपी दीक्षाभूमि की लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई है। कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति अगर इसे देखने की मांग करता है तो उसे देखने उपलब्ध कराया जाता है। दीक्षाभूमि स्मारक समिति के सदस्य विलास गजघाटे ने बताया कि संविधान की मूल प्रति पूरी तरह सुरक्षित है। उसे लाइब्रेरी में सहेजकर रखा गया है। हालांकि वह नागरिकों के लिए सार्वजनिक नहीं की गई है। लेकिन कोई उसे देखने की मांग करता है तो उसे उपलब्ध कराया जाता है। अभी तक उस पर रासायनिक प्रक्रिया करने की नौबत नहीं आई है। सरकार द्वारा दीक्षाभूमि के विकास का प्रारूप तैयार किया गया है। इस दौरान म्यूजियम बनने पर वहां लोगों के भारतीय संविधान की मूल प्रति रखी जाएगी।
 

Created On :   27 Jan 2019 12:14 PM GMT

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