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पुलवामा के शहीदों को दी श्रद्धांजलि, देश में शांति की कामना के साथ हुआ गजरथ महोत्सव का शुभारंभ
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। संत शिरोमणी आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के धर्मप्रभावक शिष्य मुनिश्री योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव का शुभारंभ हुआ। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री योगसागर ने कहा कि यह गजरथ महोत्सव देश में शांति की मंगल कामना के साथ शुरू हो रहा है, वस्तुत: शांतिधारा-जाप का यही मूल निहितार्थ है। इसलिए सबसे पहले सभी दो मिनट का मौन रखकर पुलवामा के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे।
घटयात्रा के बाद गजरथ स्थल पर हुआ ध्वजारोहण
घटयात्रा, श्रीजी की शोभायात्रा के जुलूस, मंडपप्रवेश, मंडप उद्घाटन, मंडप शुद्धि, वेदी संस्कार शुद्धि, अभिषेक, शांतिधारा, श्री जी स्थापना और पूजन के बाद गजरथ-स्थल पर ध्वजारोहण किया गया। ध्वज राष्ट्र और धर्म के मान-सम्मान का प्रतीक होता है। इसे फहराने के साथ ही राष्ट्र विजय-यात्रा और धर्मरथ यात्रा का श्रीगणेश होता है। इसी शुभ-भावना के साथ प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया द्वारा ध्वजारोहण का विधान सम्पन्न कराया गया। इससे पूर्व विधिवत पूजन-अर्चन हुआ।
पुलवामा शहीद परिजन सहायता कोष के लिए एक लाख एक हजार रुपए देने की घोषणा
विधानाचार्य ब्रह्मचारी त्रिलोक भैया की उपस्थिति में गजरथ कमेटी के महामंत्री आनंद सिंघई, पिसनहारी मढ़िया के अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार जैन, ट्रस्ट के प्रधनमंत्री राकेश चौधरी, अशोक जैन, अनुपम बेंटिया, प्रचार प्रमुख संजय चौधरी ने घोषणा की कि पुलवामा शहीद परिजन सहायता कोष के लिए एक लाख एक हजार रुपए भेजे जाएंगे।
शहर में चौथी बार हो रहा गजरथ का आयोजन
ब्रह्मचारी त्रिलोक भैया ने बताया कि इससे पूर्व जबलपुर में तीन गजरथ महोत्सव हो चुके हैं, यह चौथा गजरथ महोत्सव है। बिम्ब मूर्ति को कहते हैं और जिन यानी जिनेन्द्र भगवान, इस तरह श्रीमज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का अर्थ हुआ श्रीभगवान की पाषाण प्रतिमा में गर्भ, जन्म, दीक्षा, केवल-ज्ञान और मोक्ष संबंधी पंच-विधानों के माध्यम से प्राण-प्रतिष्ठा करना। गज मंगल का प्रतीक, इसलिए रथ के आगे चलेगा- उन्होंने बताया कि गज यानी हाथी मंगल का प्रतीक होता है, इसलिए इसलिए गजरथ के समापन दिवस 23 फरवरी को गज रथ के आगे चलेगा और उसके पीछे रथ पर प्रतिष्ठित विधि-नायक भगवान गजरथ-मंदिर परिसर के सात फेरे लगाएंगे। इसी के साथ मंदिर में विराजमान सवा 11 फीट की देशभर में अब तक की सबसे बड़ी मुनिश्री सुव्रतनाथ भगवान की श्यामवर्ण पद्मासिनी प्रतिमा सदैव के लिए पूजनीय हो जाएगी।
Created On :   18 Feb 2019 9:03 AM GMT