ब्रिटिशकालीन जिलाधीश के नाम से बसा है  ग्लासफोर्डपेठा गांव, उनके पोते-पोतियों  ने दी भेंट

glassford petha village in maharashtra is based on british district magistrate name
ब्रिटिशकालीन जिलाधीश के नाम से बसा है  ग्लासफोर्डपेठा गांव, उनके पोते-पोतियों  ने दी भेंट
ब्रिटिशकालीन जिलाधीश के नाम से बसा है  ग्लासफोर्डपेठा गांव, उनके पोते-पोतियों  ने दी भेंट

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली।  सिरोंचा तहसील में तत्कालीन ब्रिटिश जिलाधिकारी ग्लासफोर्ड द्वारा बनाया गया गांव आज भी उनके नाम पर बसा हुआ है। उनकी यादों को ताजा करते हुए ग्लासफोर्ड के तीन पोते-पोतियों ने  ग्लासफोर्डपेठा गांव पहुंचकर ग्रामीणों के साथ चर्चा की। इस दौरे में उन्होंने सिरोंचा तहसील मुख्यालय पहुंचकर दादा द्वारा बनाए गये विभिन्न ब्रिटिश कालीन कार्यालयों को भी भेंट दी। ग्लासफोर्डपेठा गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने तीनों का बड़े ही अनोखे ढंग से स्वागत किया। 

यहां के बंगला और कार्यालय हैं ऐतिहासिक
 गड़चिरोली जिले के दक्षिणी इलाकों में ब्रिटिशों का शासन था। इसमें सिरोंचा तहसील को ब्रिटिश शासन काल में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था। आज भी सिरोंचा तहसील मुख्यालय में ब्रिटिशों द्वारा निर्माण किए गए ऐतिहासिक विश्रामगृह (अद्दाला बंगला) समेत तहसील कार्यालय, पंचायत समिति, तहसीलदार के निवासस्थान व पुलिस थाना की इमारत है। मद्रास प्रांत में पूर्व गोदावरी जिले का सिरोंचा मुख्यालय था।  

1852 से 1862 किए विभिन्न कार्य
ईस्ट इंडिया कंपनी के सिरोंचा व बस्तर क्षेत्र के जिलाधिकारी के रूप में चार्ज हेल्मेट राबर्टसन ग्लासफोर्ड ने 1852 से 1862  की कालावधि में कार्य किया। सिरोंचा तहसील का ऐतिहासिक भौगोलिक क्षेत्र, सागौन क्षेत्र व नदियों के कारण ग्लासफोर्ड हमेशा सिरोंचा आया करते थे। इसी भेंट के दौरान आज से करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व ग्लासफोर्ड ने तहसील के बामणी गांव के पास ग्लासफोर्डपेठा नामक गांव बसाया था। तत्कालीन जिलाधीश ग्लासफोर्ड इंग्लैंड पहुंचने पर उन्होंने बस्तर समेत सिरोंचा क्षेत्र पर आधारित तकरीबन 21  किताबें लिखी। इन किताबों के आधार पर उनके तीनों पोते-पोतियों ने क्षेत्र को भेंट देने का निर्णय लिया। ग्लासफोर्ड के पोते-पोतियों पीटर ग्लासफोर्ड 87 , सूजन ग्लासफोर्ड 83 व जेनिफर ग्लासफोर्ड 77  ने अपने एक मित्र की मदद से गड़चिरोली के वर्तमान जिलाधीश शेखर सिंह से संपर्क किया। तीनों पोते-पोतियां फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के निवासी हैं।

पोते-पोतियों ने ग्रामीणों से की चर्चा
जिलाधीश सिंह की रजामंदी के बाद तीनों ने सिरोंचा तहसील का दौरा किया। इस भेंट के दौरान उन्होंने ग्लासफोर्डपेठा गांव को भेंट दी। ग्रामीणों को तीनों पोते-पोतियों के आने की बात पता चलते ही उन्होंने पारंपारिक ढंग से उनका स्वागत किया। आदिवासियों का स्नेह व प्रेम देखकर तीनों पोते-पोती भावविभोर हो गए। गांव का भ्रमण कर उन्होंने गांव का अध्ययन किया। भविष्य में ग्रामीणों के लिए बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने ऑस्ट्रेलिया की एक निजी संस्था के माध्यम से कार्य करने का आश्वासन भी ग्रामीणों को दिया। इस भेंट के दौरान पूर्व उपसरपंच रवि सल्लमवार, नागपुर के हिमांशु, ग्लासफोर्डपेठा गांव के देवा मेडी, पूर्व उपसरपंच व्येंकटस्वामी कारासपल्ली आदि उपस्थित थे। तत्कालीन जिलाधीश ग्लासफोर्ड की संकल्पना से सिरोंचा में ब्रिटिशकाल के दौरान एक विश्रामगृह बनाया गया था। जिसे आज अद्दाला बंगला के नाम से पहचाना जाता है। इस दौरे के दौरान ग्लासफोर्ड के तीनों पोतों ने इस विश्रामगृह में पहुंचकर आराम किया। बता दें कि, इस विश्रामगृह से पूरे सिरोंचा शहर पर नजर रखी जा सकती है। वहीं किसी भी साइड से विश्रामगृह की इमारत एक जैसी ही नजर आती है। दादा की इस संकल्पना से वे काफी खुश नजर आए। 

Created On :   30 Nov 2018 10:31 AM GMT

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