एक शादी ऐसी भी : अंधविश्‍वास को दूर करने के लिए श्मशान में लिए 7 फेरे

Gujarat: To overcome superstition Wedding ceremony in crematorium
एक शादी ऐसी भी : अंधविश्‍वास को दूर करने के लिए श्मशान में लिए 7 फेरे
एक शादी ऐसी भी : अंधविश्‍वास को दूर करने के लिए श्मशान में लिए 7 फेरे

डिजिटल डेस्क, भावनगर। जोड़े आसमान में भगवान बनाता है और शादी जमीन पर इंसान करता है। कौन, कैसे, किस रिवाज से शादी करेगा ये सभी का निजी फैसला होता है। ऐसा ही एक अनोखा फैसला गुजरात के भावनगर के एक कपल ने लिया। दरअसल यहां सोमवार को श्मशान घाट में 7 फेरे लिए। इस अनोखी शादी में हजारों लोग शामिल हुए। नव युगल को आशीर्वाद देने खुद राज्य के प्रमुख संत मोरारी बापू पहुंचे। कपल के यहां मंडप सजाने का फैसला अपनी शादी को यादगार बनाने या अनोखा बनाने के इरादे से नहीं बल्की समाज में फैले अंधविश्‍वास और रूढ़वादिता को बदलने के लिए की। 

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दरअसल कथा वाचक मोरारी बापू ने बनारस में प्रवचन के दौरान ये सीख दी थी कि श्मशान को लेकर जनमानस में कायम भ्रांतियां दूर होनी चाहिए। श्मशान अशुभ नहीं, महान पवित्र स्थल है। यहां जन्मदिन के साथ विवाह समारोह भी होने चाहिए। बापू के इन विचारों से प्रभावित होकर ही भावनगर के महुवा कस्बा अंतर्गत साधु समाज के युवक घनश्याम और कोली समाज की पारूल ने श्मशान में शादी रचाने का फैसला लिया। दोनों बापू से मिले और श्मशान घाट में शादी की इच्छा जताई। रविवार सुबह गांव तलगाजरडा के श्मशान घाट पर घनश्याम और पारूल सात जन्मों के बंधन में बंध गए। एक आम विवाह की तरह सारी रस्में पूरी की गईं।

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बैंड बाजे के साथ घनश्याम बारात लेकर श्मशान पहुंचा तो वधु पक्ष ने पलक-पांवड़े बिछा दिए। दोस्त-रिश्तेदार जमकर नाचे। वर-वधु पक्ष के लोगों ने मिलकर श्मशान में गरबा भी किया। जहां चिता जला करती है, वहां हवन कुंड सजा, सात फेरे हुए। बापू की मौजूदगी में पंडित प्रभाशंकर ने शादी संपन्न कराई। 

Created On :   27 Nov 2017 10:12 AM GMT

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