घूस लेते पकड़ी गई महिला अधिकारी की सजा पर रोक लगाने से कोर्ट ने किया इंकार

HC refuses to cancel the punishment of bribe case accused female officer
घूस लेते पकड़ी गई महिला अधिकारी की सजा पर रोक लगाने से कोर्ट ने किया इंकार
घूस लेते पकड़ी गई महिला अधिकारी की सजा पर रोक लगाने से कोर्ट ने किया इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। घूसखोरी के मामले में दोषी पाए गए सरकारी अधिकारी को राहत देना न सिर्फ जन धारणा को प्रभावित करेगा, बल्कि सरकारी संस्थाओं की गरिमा पर भी असर डालेगा। यह कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने रिश्वत लेते पकड़ी गई एक सरकारी कर्मचारी को सुनाई गई कारावास की सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।  

जस्टिस एएम बदर ने पुणे स्थिति कर्मचारी भविष्य निधि(ईपीएफ) कार्यालय में कार्यरत संगीता पिल्लई की अपील को खारिज कर दिया है। पिल्लई को सीबीआई ने पांच हजार रुपए की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। पिल्लाई ने यह रिश्वत एक व्यक्ति के कुछ दस्तावेज पंजीकृत करने के नाम पर लिए थे। सीबीआई ने पिछले साल शिकायत मिलने के बाद जाल बिछाया था और पिल्लई को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। सीबीआई की विशेष अदालत ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद पिल्लाई को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।

विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ पिल्लई ने हाईकोर्ट में अपील की थी। अपील में पिल्लई ने दावा किया था कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति को लेकर जारी किए गए आदेश में विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसलिए उसकी अपील का निपटारा होने तक उसे दोषी ठहराने वाले विशेष अदालत के फैसले को स्थगित किया जाए। 

जस्टिस एएम बदर के सामने पिल्लई की अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस ने पिल्लई को मिली सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया और कहा कि मुकदमे चलाने की अनुमति से जुड़े मुद्दे पर वे बाद में विचार करेंगे। इस दौरान जस्टिस ने कहा कि मौजूदा मामले से जुड़ा अपराध के नैतिक पतन का सूचक है। ऐसे मामले में यदि आरोपी को दोषी पाया जाता है तो वह बेहद अपमानजन है। इस स्थिति में यदि इस मामले की आरोपी को मिली सजा पर रोक लगाई जाती है तो निश्चित तौर पर इसका जन धारणा व सार्वजनिक संस्थानों की गरिमा पर असर पड़ेगा। यही नहीं इस तरह के मामले में दोषी पाए गए आरोपी को राहत देने से न्यायापालिका से जुड़ा जन विश्वास भी प्रभावित होगा।

संभवत: यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों को अगाह किया है कि दोषी व्यक्ति को मिली सजा पर रोक लगाते समय भारी सतर्कता बरती जाए। सिर्फ अपवादजनक स्थिति में ही सजा पर रोक लगाई जाए। यह कहते हुए जस्टिस ने पिल्लाई को राहत देने से इंकार कर दिया। 
 

Created On :   25 Aug 2018 1:35 PM GMT

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