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बीत गया जांच का समय, 42 दिन बाद पहुंचा आदेश
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी विभागों का ढुलमुल कामकाज एक बार फिर सामने आया है। बीटी कपास बीज के अवैध कारोबार को रोकने के लिए गठित एसआईटी पर राज्य सरकार की मेहरबानी व इसके पहले भी दो बार लापरवाही उजागर हो चुकी है। अब उसे राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए 3 माह का समय दिया है। खास बात यह है कि 3 माह की अवधि बढ़ाने के संबंध में जो जीआर अर्थात शासनादेश जारी किया गया है, वह 3 माह की अवधि पूरी होने के 12 दिन बाद जारी हुआ है। इस मामले पर कृषि मामलों के जानकारों का कहना है कि सरकार कुछ कंपनियों के दबाव में है। जांच रिपोर्ट के नाम पर मामले की लीपापोती की जा रही है। सरकार की ओर से यह तर्क दिया जाना भी ठीक नहीं है कि मराठा आरक्षण के आंदोलन में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने के कारण जांच अधिकारी समय पर जांच रिपोर्ट तैयार नहींं कर पाए।
क्या है मामला
राज्य में बीटी कपास बीज में खरपतवारनाशक ट्रांसजेनिक हरबिसाइड व ग्लायफोसेट टालरेंट टैट के इस्तेमाल का मामला चर्चा में आया था। बताया गया कि खरपतवारनाशक कपास बीज की इस प्रजाति को बीटी 3 कहा गया है। इसके नुकसान के बारे में प्रयोगशाला में आरंभिक जांच हुई है। नागपुर स्थित कपास अनुसंधान केंद्र में बीटी 3 के नमूनों की जांच की गई। पाया गया कि यह बीज किसान ही नहीं, खेती के लिए भी नुकसानदायक है।
बड़ी कंपनियां हैं लिप्त
इस तरह के बीजों के कारोबार में कई बड़ी व नामी बीज कंपनियां भी लिप्त हैं, जबकि सरकार की ओर से इस तरह के बीज की बिक्री की कोई अनुमति नहीं दी गई है। विरोध होने पर राज्य सरकार के कृषि विभाग ने छापेमारी की। जलगांव, अमरावती, यवतमाल जिले में सबसे अधिक बीटी 3 की बिक्री के मामले पाए गए। विधानमंडल के दोनों सदन में भी यह मामला गूंजा। लिहाजा 7 फरवरी 2018 को राज्य सरकार ने टालरेंट टैटयुुक्त कपास बीज की बिक्री के मामले के लिए एसआईटी अर्थात विशेष जांच टीम गठित की। जांच टीम का अध्यक्ष पुलिस प्रशासनिक अधिकारी कृष्णप्रकाश को बनाया गया। कृृष्णप्रकाश वीआईपी सुुरक्षा विभाग मुंबई में विशेष पुलिस महानिरीक्षक हैं।
होता रहा विलंब
एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने में लगातार विलंब हो रहा है। 7 फरवरी 2018 को जारी शासनादेेश में जांच रिपोर्ट के लिए एसआईटी को एक माह की अवधि दी गई थी। लेकिन एसआईटी ने कोई रिपोर्ट पेश नहीं की। तब 30 जून 2018 को नया शासनादेश जारी किया गया। एसआईटी को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए 5 माह की अवधि दी गई। सितंबर तक जांच रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई। लिहाजा 15 दिसंबर को नया शासनादेश जारी किया गया है। इसमें उल्लेख है कि एसआईटी को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए 3 सितंबर 2018 से 3 माह की अतिरिक्त अवधि दी जा रही है। देखा जाए तो 3 माह बढ़ाने की अवधि 3 दिसंबर को ही समाप्त हो गई है, लेकिन सरकार ने अवधि समाप्त होने के 12 दिन बाद शासनादेश जारी किया है।
यह बताया कारण
एसआईटी की जांच रिपोर्ट पेश करने की अवधि बढ़ाने के संबंध में राज्य सरकार की ओर से जो कारण बताए गए हैं, उसमें मराठा आरक्षण का विषय प्रमुखता से शामिल है। शासनादेश मेें उल्लेख है कि जब एसआईटी की जांच रिपोर्ट के लिए 5 माह की अवधि बढ़ाई गई थी, तब राज्य में मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा था। आंदोलन को लेकर निर्मित कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने, वीआईपी सुरक्षा व अतिरिक्त पदों की जिम्मेदारी संभालने के कारण एसआईटी के अध्यक्ष समिति के कामकाज को समय पर पूरा नहीं कर पाए। विविध अड़चनें आईं। लिहाजा एसआईटी को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए पुन: 3 माह का समय देने का निर्णय लिया गया है।
कंपनियाें का दबाव
एसआईटी जांच की केवल खानापूर्ति होती दिख रही है। बोगस बीज कारोबार में अंतरराष्ट्रीय कंपनियां लिप्त हैं। गुजरात व मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचा चुके बोगस कपास बीज कारोबारियों का दबाव सरकार पर भी है। जांच रिपोर्ट भी केवल कागजी तैयार होने की संभावना है। कितनेे दु:ख की बात है कि किसानों की मौत हो रही है और प्रदेश में कृषिमंंत्री तक नहीं हैं। - किशोर तिवारी, अध्यक्ष राज्य शेतकरी स्वावलंबन मिशन
जनसंघर्ष यात्रा में उठेगा मुुद्दा
किसानों को कर्जमाफी का मामला दिखावा साबित हुआ है। नकली व जहरीले खाद-बीज बिकने से राज्य में सैकड़ों किसानों की मृत्यु हुई है। एसआईटी जांच में विलंब के लिए मराठा आरक्षण को अड़चन मानना एक तरह से मराठा समाज पर सरकार की ओर से कसा गया तंज है। पूर्व विदर्भ में कांग्रेस की ओर से निकलनेवाली जनसंघर्ष यात्रा में इस पूरे मामले काे उठाया जाएगा। -अतुल लोंढे, प्रवक्ता कांग्रेस महाराष्ट्र
Created On :   17 Dec 2018 7:02 AM GMT