शोपियां फायरिंग मामला : 27 जनवरी की पूरी घटना पर यह है सेना का पक्ष

शोपियां फायरिंग मामला : 27 जनवरी की पूरी घटना पर यह है सेना का पक्ष
शोपियां फायरिंग मामला : 27 जनवरी की पूरी घटना पर यह है सेना का पक्ष
शोपियां फायरिंग मामला : 27 जनवरी की पूरी घटना पर यह है सेना का पक्ष

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। शोपियां जिले में पिछले शनिवार को सुरक्षाबलों की गोलीबारी में हुई पत्थरबाजों की मौतों पर सेना ने विस्तार से अपना पक्ष रखा है। उत्तरी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अन्बु ने 27 जनवरी की इस घटना को संक्षेप में बयां किया है। उन्होंने कहा है, "उस दिन पत्थरबाजों ने सैनिकों को चरम सीमा तक उकसाया दिया था। सेना के काफिले पर हिंसक भीड़ लगातार पत्थर बरसा रही थी। बार-बार चेतावनी देने के बाद भी भीड़ द्वारा पत्थर बरसाए जा रहे थे। भीड़ के उग्रपन को देखते हुए सेनिकों को मजबूरन फायरिंग करनी पड़ी।"

जनरल देवराज अन्बु बताते हैं, "इस मामले में हमने आंतरिक जांच की है। हमने पाया है कि सैनिकों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। यह साफतौर पर आत्म-रक्षा में और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए की गई कार्रवाई थी।" उन्होंने बताया, "सेना के 4 वाहनों को घेरकर हिंसक प्रदर्शनकारियों ने हमले करना शुरू कर दिये थे। सेना के काफिले में से ये गाड़ियां 16 अन्य से अलग हो गई थीं। मेजर आदित्य इस दौरान 16 गाड़ियों के साथ थे। 4 वाहनों पर भीड़ जमकर पथराव कर रही थी। इस दौरान उत्तेजित भीड़ ने JCO को मारने और उनका हथियार छीनने की कोशिश की। यह काफी भयानक स्थिति थी। चेतावनी के बावजूद पत्थरबाज उग्र होते जा रहे थे।"

अधिकारी ने बताया, "ऐसी स्थिति में फायरिंग करना एकमात्र विकल्प बचा था। आतंरिक जांच में सामने आया है कि सैनिकों ने पत्थरबाजों को कमर से नीचे गोली मारी लेकिन जिन नागरिकों को कमर से ऊपर गोली लगी वे शायद पत्थर लेने के लिए नीचे झुके हुए थे।" बता दें इस मामले में 3 कश्मीरी युवकों की मौत हुई है। इस मामले में सैनिकों के खिलाफ भी FIR दर्ज हुई है। सेना की ओर से भी इस मामले में काउंटर  FIR दर्ज की गई है।

क्या है मामला
जम्मू-कश्मीर के शोपियां में 27 जनवरी को 200 से 250 पत्थरबाज सेना की काफिले को निशाना बना रहे थे। शोपियां जिले के गनोवपुरा गांव से गुजर रहे सुरक्षा बलों के एक काफिले पर पत्थरबाजों ने  पथराव किया था। जवाबी कार्रवाई में सेना को फायरिंग करनी पड़ी थी। फायरिंग में दो पत्थरबाजों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस मामले में सेना के मेजर समेत कुछ सैनिकों पर FIR दर्ज की है। जम्मू-कश्मीर सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में जांच के आदेश भी दिए हैं।

मौतों की संख्या हुई तीन 
सुरक्षाबलों की गोलीबारी में दो युवा प्रदर्शनकारियों जावेद अहमद और सुहेल अहमद की मौके पर मौत हो गई थी। बुधवार को इस गोलीबारी में घायल हुए एक अन्य युवक की भी मौत हो गई। इस तरह इस घटना में मरने वाले नागरिकों की संख्या तीन हो गई। 19 साल के रईस अमहद को शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बुधवार सुबह उसने दम तोड़ दिया।

पीडीपी-बीजेपी में दरार
इस मामले पर पिछले तीन दिनों से जम्मू-कश्मीर में सियासी घमासान चल रहा है। विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस जहां इस मामले में पत्थरबाजों के साथ खड़ी है। वहीं बीजेपी-पीडीपी गठबंधन में भी इस मामले पर टकराव है। इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे के विपरीत बयानबाजी कर रहे हैं। पीडीपी नेता जहां इस मामले में पूरी जांच की मांग कर रहे हैं। वहीं बीजेपी ने सेना की कार्रवाई को बिल्कुल जायज ठहराया है। बीजेपी ने यह भी मांग की है कि इस मामले में सेना के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की जानी चाहिए थी।

बीजेपी नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा है कि हम इस तरह किसी को भी इस बात की इजाजत नहीं दे सकते कि कोई सेना की मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा को धूमल कर सके। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेन्स के विधायक मोहम्मद सागर ने शोपियां में दो नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार सेना के अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

सीएम महबूबा मुफ्ती का क्या है कहना
जम्मू-कश्मीर सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस मामले पर सोमवार को विधानसभा में सफाई पेश की थी। उन्होंने कहा था, "FIR रक्षामंत्री से बात करने के बाद दर्ज की गई है। हम इस मामले को किसी नतीजे तक ले जाना चाहते हैं। इसका मकसद सेना के मनोबल पर असर डालना नहीं है।" उन्होंने कहा था इस मामले में जांच जरूरी है ताकि सच सामने आए, इसमें कुछ गलत नहीं है।

Created On :   31 Jan 2018 6:19 PM GMT

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