जर्मनी की करणा माई तेरह वर्षों से कर रही हैं नर्मदा सेवा, गांव-गांव जाकर करती हैं जागरूक

जर्मनी की करणा माई तेरह वर्षों से कर रही हैं नर्मदा सेवा, गांव-गांव जाकर करती हैं जागरूक

डिजिटल डेस्क मंडला । प्रदेशवासियों की जीवनदायिनी नर्मदा केवल नदी मात्र ही नहीं आस्था व विश्वास का प्रतीक है। इसी आस्था से अभिभूत होकर जर्मनी की एक महिला पिछले 13 साल से लगातार नर्मदा भक्त बन सेवा कर रही है। वह नर्मदा तट में बसे गांव में लोगों को सरंक्षण के लिए जागरूक भी करती है। गुजरे दो सालो से मंडला के दूरांचल क्षेत्रो में  ग्रामीणों को ज्ञान,ध्यान,तप से जोडऩे के कारण करूणा माई बन गई। एकांत नर्मदा तट पर स्थित मंदिर,आश्रम में विविध धर्मिक आयोजन के साथ ग्रामीणों को पौध रोपण कर हरियाली लाने के लिए प्रेरित करती है।
नर्मदा जल निर्मल-
अविरल बहे वर्तमान में यह चुनौती से कम नहीं है। लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता व नदियों के गंदे होने के खतरे को जनमानस से रूबरू कराने काम भारत के प्रदेश में करूणा माई बन कर जर्मनी की मूल निवासी बखूबी कर रही है। वर्तमान में मंडला जिले के नर्मदा तट में रह रही करूणा मॉई ने बताया है कि जर्मनी को अपनी जिंदगी से डीलीट कर चुकी है। अब इतने सालों में सिर्फ नर्मदा मैया के दर्शन और सेवा में ही उनका मन लगता है। उन्होने बताया  कि सबसे पहले वह 28 साल पहले इंडिया में टूरिूस्ट बन कर आई थी। उन्होने इंडिया के साऊथ,ईस्ट, नार्थ,वेस्ट के कई शहरो का भ्रमण किया है। वर्ष 2003-04 में जर्मनी यूनिवर्सटी के अपने दोस्तो से नर्मदा नदी के बारे सुना था। संयोग की बात रही है कि इसी साल दोस्तो को मध्यप्रदेश के खंडवा में श्री ओमकारेश्वर बांध निर्माण को लेकर एक डाक्युमेंट्री बनाने के लिए आना पड़ा। इसके लिए उन्हे अमरकंटक से शुरूआत करनी पड़ी। करूणा माई ने बताया है कि यहां नर्मदा के दर्शन मात्र से वे अभिभूत हो गई। तब से लेकर आज तक नर्मदा की सेवा कर रही है। कुछ साल जबलपुर के तिलवारा स्थित एक आश्रम में दीक्षा शिक्षा लेने के बाद नर्मदा परिक्रमा की है। एकांत तटो में ध्यान करने के दौरान यंू ही ग्रामीणों के बीच जाकर नर्मदा के सरंक्षण व वचाव के लिए जागरूक करती है। इतने साल में स्पष्ट हिन्दी बोलने और समझने में कोई कठिनाई नहीं होने से ग्रामीण भी उनकी बातें ध्यान से सुनते है।
परिक्रमा कर लोगों में जागरूकता लाना चाहती हैं
 करूणा मॉई का कहना है कि अब सब कुछ नर्मदा माई के लिए है। जीवन में एक बार पैदल परिक्रमा कर ग्रामीणों को पौध रोपण,स्वच्छता रखने के लिए काम करेंगी। इन दस सालो में बहुत कुछ बदला है। जगह जगह रेत खनन हो रहा है। शहर कस्बा से निकलने वाले गंदे नाले का पानी नर्मदा में मिल रहे है। जिससे नर्मदा का अस्तित्व संकट में आ गया। यह बहुत ही चिंता का विषय है। इसका संरक्षण किया जाना जरूरी है। नर्मदा नदी का पौराणिक,आध्यात्मिक, सामाजिक महत्व होने के कारण इसके संरक्षण के लिए जिस तट पर पहुंचती है सबसे पहले घाटों की साफ सफाई कराती है। उनका कहना है कि सरकार के साथ संत और समाज को आगे आकर नर्मदा को संवारने की जरूरत है।

 

Created On :   9 April 2018 8:56 AM GMT

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