हाईलाइट
  • जम्मू-कश्मीर राजभवन से राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान को लेकर आया स्पष्टीकरण
  • राजभवन ने कहा- राज्यपाल के बयान का निकाला गया गलत मतलब
  • राज्यपाल ने एक कार्यक्रम में कहा था- सज्जाद लोन को सीएम बनाना चाहती थी केन्द्र सरकार

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर राजभवन से राज्यपाल सत्यपाल मलिक के विधानसभा भंग करने के फैसले से जुड़े बयान को लेकर स्पष्टीकरण आया है। राजभवन की ओर से कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने के मामले में केन्द्र सरकार की ओर से किसी तरह को कोई दबाव नहीं था। राजभवन के जनसम्पर्क विभाग की ओर से प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा गया है, "राज्यपाल के बयान का कुछ मीडिया चैनल्स ने गलत मतलब निकाला और इसे इस तरह पेश किया गया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने के लिए केन्द्र ने राज्यपाल पर दबाव डाला था। हालांकि राज्यपाल पर इस मामले में केन्द्र की ओर से कोई दबाव नहीं था।"

 

 

गौरतलब है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा था कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मार विधानसभा भंग करने का फैसला केन्द्र के दबाव में आकर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्यपाल मलिक ने खुद एक कार्यक्रम में इस बात का जिक्र किया। दरअसल, एक कार्यक्रम में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े मामले में फैसला उन्होंने खुद लिया था, क्योंकि अगर वह केन्द्र सरकार से इस मामले में बात करते तो शायद उन्हें विधानसभा भंग करने की बजाय सज्जाद लोन को सीएम बनाना पड़ता। मलिक ने कहा था कि अगर सज्जाद लोन की सरकार बनती तो यह सूबे के लोगों के साथ बेईमानी होती। इसीलिए मैंने विधानसभा भंग कर पूरे मामले को ही खत्म कर दिया।

कार्यक्रम में राज्यपाल ने यह भी कहा था कि महबूबा मुफ्ती के अलावा सज्जाद लोन भी सरकार बनाने का दावा कर रहे थे, लेकिन दोनों के पास ही पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं था। ऐसे में किसी को सरकार बनाने का निमंत्रण देकर विधायकों की खरीद फरोख्त का मौका नहीं दे सकते थे। इसीलिए विधानसभा भंग करने के अलावा और कोई फैसला राज्य के हित में कतई नहीं होता।

Created On :   27 Nov 2018 4:57 PM GMT

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