ओडिशा कांग्रेस ने ट्वीट किया ‘हैप्पी मुहर्रम’, यूजर्स ने की जमकर खिंचाई

Odisha Congress Tweeted Happy Muharram Trolled On Social Media
ओडिशा कांग्रेस ने ट्वीट किया ‘हैप्पी मुहर्रम’, यूजर्स ने की जमकर खिंचाई
ओडिशा कांग्रेस ने ट्वीट किया ‘हैप्पी मुहर्रम’, यूजर्स ने की जमकर खिंचाई
हाईलाइट
  • ओडिशा कांग्रेस ट्वीट किया 'हैप्पी मुहर्रम'
  • मुस्लिम समुदाय के लोग मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन के बलिदान को श्रद्धांजलि देते हैं।
  • शहादत और मातम का महीना होता है मुहर्रम।
  • सोशल मीडिया पर कांग्रेस हुई ट्रोल।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूं तो मुहर्रम गम मनाने का मौका होता है, लेकिन ओडिशा कांग्रेस मुहर्रम की बधाई देकर सोशल मीडिया में यूजर्स के निशाने पर आ गई है। शुक्रवार को ओडिशा कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया "हैप्पी मुहर्रम"। इस ट्वीट के बाद से कांग्रेस सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही है। यूजर्स कई तरह के कमेंट कर कांग्रेस की जमकर खिंचाई कर रहे हैं।
 


      
एक यूजर ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए लिखा है, मुहर्रम हैप्पी कैसे हो सकता है मूर्खों।

 

 

ट्वीट पर ट्रोल करते हुए एक यूजर ने लिखा है, हैप्पी मुहर्रम? क्या इसे गमजदा नहीं लिखा जाना चाहिए था।

 

 

एक और यूजर ने लिखा, जैसे धान से गेंहूं और आलू से सोना निकलता है ठीक वैसे ही #Muharram Happy होता है।

 

 


शहादत और मातम का महीना मुहर्रम

दरअसल मुहर्रम को शहादत और मातम का महीना माना जाता है। एक तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन के बलिदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। वहीं, धर्म के सच्चे अनुयायियों की हत्या किए जाने पर मातम भी मनाया जाता है। लेकिन, ओडिशा कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से मुहर्रम के मौके पर "हैपी मुहर्रम" ट्वीट कर दिया, जिसकी सोशल मीडिया पर खूब आलोचना की जा रही है। 


24 घंटे बाद भी नहीं हटाया गया ट्वीट

बड़ी बात ये है कि इस ट्वीट को 24 घंटे बाद भी हटाया नहीं गया। उसके बाद इस ट्विटर हैंडल से कई ट्वीट और रीट्वीट किए गए पर इस गलती को सुधारा नहीं गया। ओडिशा कांग्रेस का यह ट्विटर हैंडल वेरिफाइड है। इसे करीब 17 हजार 800 से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। 


कोड़ों और तलवारों से खुद को पीट कर जुलूस निकालते हैं मुस्लिम

गौरतलब है कि शिया समुदाय के लोग मुहर्रम के 10वें दिन जुलूस निकालकर सभी शहीदों के लिए मातम मनाते हैं। इस दिन मुस्लिम समुदाय के सभी लोग काले कपड़े पहनते हैं। सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है और मातम मनाने के लिए कोड़ों और तलवारों या फिर खंजरों से खुद को पीटा जाता है। इस दौरान लोग बांस पर एक मकबरे के आकार का मंडप ले जाते हैं। इसे कब्र के रूप में माना जाता हैं, जिसे ताजिया कहा जाता है। इसके आगे मातम मनाया जाता है। 11वें दिन जलूस के साथ ले इसे दफन कर देते हैं। 

Created On :   22 Sep 2018 10:30 AM GMT

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