बड़ी चूक : राज्यपाल के लिए भेजी प्रशिक्षु BAMS डॉक्टर की टीम, होगी जांच

Officers sends Intern Doctors for the medical checkup of Governor
बड़ी चूक : राज्यपाल के लिए भेजी प्रशिक्षु BAMS डॉक्टर की टीम, होगी जांच
बड़ी चूक : राज्यपाल के लिए भेजी प्रशिक्षु BAMS डॉक्टर की टीम, होगी जांच

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। इसे जिले के स्वास्थ्य अमले की बेपरवाही या सरकार बदलने के बाद की सरपरस्ती माना जाए कि अधिकारियों को राज्यपाल के प्रोटोकॉल की भी परवाह नहीं रही। प्रदेश के सबसे बड़े संवैधानिक पद की गरिमा भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं समझ सकें तो इसके क्या कहा जा सकता है। स्वास्थ्य अधिकारियों की नजर में राज्यपाल का इतना बौना महत्व है कि उनके प्रोटोकॉल में किसी सीनियर डॉक्टर की ड्यूटी लगाने के बजाय बीएएमएस चिकित्सक(प्रशिक्षु) को भेजकर इतिश्री कर ली। यह तो बेहतर हुआ कि ऐन वक्त पर उनका आगमन टल गया, यदि वे आतीं और चिकित्सकीय परामर्श की जरूरत होती तो जिले के स्वास्थ्य अमले का असली चेहरा सामने आ जाता। इससे यह भी संकेत जाता है कि मोटी तन्ख्वाह लेकर मनमानी की नौकरी करने वाले सरकारी डॉक्टर जब राज्यपाल के लिए गंभीर नहीं हैं तो आम मरीजों को कितना महत्व देते होंगे यह समझा जा सकता है।

ऐन समय पर आना टला
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को दोपहर बाद 3.55 बजे राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को हैलीकाप्टर से डुमना एयरपोर्ट आकर आधे घंटे बाद 4.30 बजे भोपाल के लिए रवाना होना था। उनका यह प्रोग्राम राजभवन से कल ही जारी हो गया था। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का भी आगमन हुआ। प्रोटोकाल के तहत केंद्रीय मंत्री की अगवानी के लिए प्रशासनिक अधिकारी व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एम्बुलेंस व डॉक्टर मौजूद थे। एयरपोर्ट से केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम के लिए रवाना होने के बाद राज्यपाल की अगवानी के लिए बनी टीम के प्रशासनिक अधिकारी व मेडिकल सुविधा के लिए एंबुलेंस मौजूद रही।

बताया गया कि 3.30 बजे एयरपोर्ट के अधिकारियों ने टीम को जानकारी दी कि राज्यपाल अमरकंटक से सीधे भोपाल रवाना हो गईं हैं। इस जानकारी के बाद प्रोटोकाल टीम व एम्बुलेंस वापस आ गई। आयुष के प्रशिक्षु डॉक्टर को मेडिकल टीम लीडर बनाकर वीवीआईपी के प्रोटोकाल में भेजना भारी चूक है।

यहां हुई चूक
वीवीआईपी, वीआईपी के आने पर उनको आकस्मिक चिकित्कीय सुविधाएं मुहैया कराना सिविल सर्जन का दायित्व होता है। जानकारी के अनुसार गुरूवार को जिन डॉक्टर्स की टीम तैयार की गई उसमें शामिल किए गए डॉक्टर ने इसे करने से इंकार कर दिया। इसके बाद प्रबंधन ने एक आयुष डॉक्टर को भेजने का निर्णय लिया जिसे बड़ी चूक मानी जा रही है। इस मामले में सभी जिम्मेवार खुद का बचाव कर एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। सिविल सर्जन एसके पांडे का कहना है यह काम आरएमओ डॉ. संजय जैन का है उन्हीं से जानकारी मिलेगी कि किसकी ड्यूटी लगाई गई थी।

रोस्टर से लगती है ड्यूटी
जिला अस्पताल में वीआईपी ड्यूटी के लिए डॉक्टर्स का रोस्टर बना हुआ है। इन डॉक्टर्स को ड्यूटी पर लगाया जाता है, इस बार राज्यपाल की ड्यूटी में किस डॉक्टर का क्रम था और उसकी जगह प्रशिक्षु आयुष चिकित्सक को क्यों भेजा गया, इसकी जांच होनी चाहिए।

यह है मापदंड
जिले में वीवीआईपी, वीआईपी के आगमन उनके आकस्मिक स्वास्थ्य बिगडऩे या किसी हादसे की स्थिति को गौर करते हुए ओहदे के हिसाब से डॉक्टर्स की टीम तैनात की जाती है। राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री के लिए सर्जन, मेडिसिन, एनेस्थिसिया के सीनियर डॉक्टर्स की टीम के साथ प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ होना चाहिए। नियमानुसार राज्यपाल, मुख्यमंत्री के लिए भी यही प्रोटोकॉल होता है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण इनके कारकेड में मेडिसिन, एनेस्थिसिया के साथ ही कंपाउंडर, नर्स आदि का स्टाफ होना चाहिए।

इनका कहना है
वीआईपी मूवमेंट पर सिविल सर्जन कार्यालय से डॉक्टर्स व टीम की ड्यूटी लगाई जाती है। राज्यपाल के आगमन पर किसकी तैनाती थी यह नहीं जानता लेकिन आयुष डॉक्टर को यदि राज्यपाल के प्रोटोकाल में भेजा गया है तो यह गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी।
डॉ. मुरली अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

Created On :   23 Feb 2019 7:34 AM GMT

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