बसंत पंचमी आज: जानें पूजा का शुभ मुहूर्त एवं विधि

On 10th February Basant Panchami, Learn Puja Muhurt and Method
बसंत पंचमी आज: जानें पूजा का शुभ मुहूर्त एवं विधि
बसंत पंचमी आज: जानें पूजा का शुभ मुहूर्त एवं विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शरद ऋतु के बाद बसंत ऋतु और फसल की शुरूआत होने के साथ ही बसंत पचंमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष बसंत पचंमी पर्व 10 फरवरी 2019 यानी आज रविवार को मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। देवी सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन उनसे विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान प्राप्त किया जाता है। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं, पतंग उड़ाते हैं और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन करते हैं। पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है। बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु में न तो चिलचिलाती धूप होती है, न सर्दी और न ही वर्षा, बसंत में पेड़-पौधों पर ताजे फल और फूल आते हैं।

पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त 
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 6.40 बजे से दोपहर 12.12 बजे तक
पंचमी तिथि प्रारंभ: माघ शुक्ल पंचमी शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12.25 बजे से आरंभ होकर 
पंचमी तिथि समाप्त: रविवार 10 फरवरी को दोपहर 2.08 बजे तक रहेगी

पूजा विधि 
सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें, मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें। उनका ध्यान कर ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। मां सरस्वती की आरती करें दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं।

प्रेरक घटनाक्रम
बसंत पंचमी का पर्व अनेक प्राचीन प्रेरक घटनाक्रमों से भी जुड़ा है। त्रेता युग में रावण द्वारा सीता के हरण के बाद प्रभु श्रीराम उनको खोजने दक्षिण की ओर अनेक स्थानों पर गए दंडकारण्य भी उनमें से एक था। यहीं पर श्री राम भक्त माता शबरी रहती थी जो कि भील जाति से सम्बंध रखती थी। जब राम उनकी कुटिया में आए, तो उन्होंने चख-चखकर मीठे बेर श्रीराम जी को खिलाए। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाले इस भक्ति भाव को रामकथा के सभी गायकों ने भिन्न प्रकार से प्रस्तुत किया। भारत के गुजरात राज्य के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। प्रभु श्री रामचंद्र जी बसंत पंचमी के दिन ही वहां आए थे। आज भी उस क्षेत्र के वनवासी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रद्धा है कि श्रीराम आकर उसी पर बैठे थे। शबरी माता का मंदिर भी वहीं है।

ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-"प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।" 
अर्थात ये परम चेतना हैं। देवी सरस्वती के रूप में ये हमारे ज्ञान बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हमारे सदाचारों और मेधा का आधार मां भगवती सरस्वती ही हैं। मां सरस्वती की समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार भगवान् श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी पर्व को आपकी भी पूजा आराधना की जाएगी और इस प्रकार भारत में बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक प्रचालन में है। 

बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा हिन्दू मंदिरों में बहुत उत्साह और हर्षोल्लास से मनाई जाती है और घरों में भी विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी यह एक प्रमुख दिवस होता है क्योंकि यह दिवस उनकी देवी सरस्वती में अटूट श्रद्धा से जुड़ा होता है।

Created On :   1 Feb 2019 8:34 AM GMT

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