जब-जब देश में संकट आया, बिहार ने देश को रास्ता दिखाया : पीएम मोदी

जब-जब देश में संकट आया, बिहार ने देश को रास्ता दिखाया : पीएम मोदी

डिजिटल डेस्क, पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को एक दिन के दौरे पर बिहार पर पहुंच चुके हैं। पटना एयरपोर्ट पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उनका स्वागत किया। इसके बाद पीएम ने चंपारण में गांधी मैदान में देशभर से पहुंचे 20 हजार स्वच्छग्रहियों को सम्मानित किया और संबोधित किया। पीएम ने संबोधित करते हुए कि पिछले 100 सालों में देश में 3 बार संकट आया और तीनों ही बार बिहार ने देश को रास्ता दिखा। इस दौरान पीएम मोदी ने "सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह" अभियान की भी शुरुआत की। बता दें कि महात्मा गांधी ने 10 अप्रैल 1917 से अंग्रेजों के खिलाफ चंपारण सत्याग्रह शुरू किया था।

पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें :

- जो लोग कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता नहीं है, वो यहां आकर देख सकते हैं कि कैसे 100 साल पहले का इतिहास, आज फिर साक्षात, हमारे सामने खड़ा है। चंपारण की इस पवित्र भूमि पर जनआंदोलन की ऐसी ही तस्वीर सौ वर्ष पहले दुनिया ने देखी थी, और आज एक बार फिर देख रही है। 100 साल पहले चंपारण में देशभर से लोग आए थे, गांधी जी के नेतृत्व में गली-गली जाकर काम किया था। 100 साल बाद आज उसी भावना पर चलते हुए, देश के अलग-अलग हिस्सों के आए लोगों ने, यहां के उत्साही नौजवानों, स्वच्छाग्रहियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है।

- पिछले सौ वर्ष में भारत की 3 बड़ी कसौटियों के समय बिहार ने देश को रास्ता दिखाया है। जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, तो बिहार ने गांधी जी को महात्मा बना दिया, बापू बना दिया। स्वतंत्रता के बाद जब करोड़ों किसानों के सामने भूमिहीनता का संकट आया, तो विनोबा जी ने भूदान आंदोलन शुरू किया। तीसरी बार, जब देश के लोकतंत्र पर संकट आया, तो जयप्रकाश जी उठ खड़े हुए और लोकतंत्र को बचा लिया। मुझे बहुत गर्व है कि सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह तक की इस यात्रा में बिहार के लोगों ने एक बार फिर अपनी नेतृत्व क्षमता को दिखाया है।

- नीतीश जी और सुशील जी के नेतृत्व में बिहार ने जो कार्य बीते दिनों करके दिखाया है, उसने सभी का हौसला बढ़ा दिया है। बिहार एक मात्र ऐसा राज्य था, जहां स्वच्छता का दायरा 50% से कम था। लेकिन मुझे बताया गया कि एक हफ्ते के स्वच्छाग्रह अभियान के बाद बिहार ने इस बैरियर को तोड़ दिया। पिछले एक हफ्ते में बिहार में 8 लाख 50 हजार से ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है। ये गति और प्रगति कम नहीं है। मैं बिहार के लोगों को, प्रत्येक स्वच्छाग्रही को और राज्य सरकार को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

- आज जिन योजनाओं का शिलान्यास किया गया, उनमें मोतिहारी झील के जीर्णोधार का प्रोजेक्ट भी शामिल है। हमारा मोतिहारी शहर, जिस झील के नाम पर जाना जाता है, जो चंपारण के इतिहास का हिस्सा है, उसके पुनरुद्धार का कार्य आज से शुरु हो रहा है। स्वच्छता का संबंध पानी से भी है। बेतिया को पीने के साफ पानी के लिए जूझना ना पड़े, इसके लिए अमृत योजना के तहत तकरीबन 100 करोड़ रुपए की लागत से वॉटर सप्लाई योजना का शिलान्यास किया है। इसका सीधा लाभ डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को मिलेगा। घर या फैक्ट्री के गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने के लिए बिहार में अब तक 3 हजार करोड़ से ज्यादा के 11 प्रोजेक्ट की मंजूरी दी जा चुकी है। इस राशि से 1100 किलोमीटर से लंबी सीवेज लाइन बिछाने की योजना है।

 

 

 

 

- स्वच्छ ईंधन पर जोर और उज्जवला योजना की सफलता की वजह से सिलेंडर की मांग भी बढ़ी है। चंपारण और आसपास के लोगों को गैस सिलेंडर की दिक्कत ना हो, इसके लिए मोतिहारी और सुगौली में LPG प्लांट लगाने के प्रोजेक्ट्स का आज शिलान्यास आज किया गया है। आज लगभग 900 करोड़ रुपए के नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया है। औरंगाबाद से चोरदहा का जो सेक्शन अभी 4 लेन का है, उसे 6 लेन बनाने का काम आज से शुरू हो रहा है। ये प्रोजेक्ट बिहार और झारखंड, दोनों राज्यों के लोगों को फायदा पहुंचा पहुंचाएगा।

- चंपारण सत्याग्रह के सौ वर्ष के अवसर पर मुझे एक नई ट्रेन का शुभारंभ करने का भी अवसर मिला है। ये ट्रेन कटिहार से पुरानी दिल्ली तक चला करेगी। इसका नाम विशेष रूप से चंपारण हमसफर एक्सप्रेस रखा है। आधुनिक सुविधाओं से लैस ये ट्रेन, दिल्ली आने-जाने में आपके लिए बहुत मददगार साबित होगी। आज मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री के फेज वन का भी लोकार्पण किया गया है। ये फैक्ट्री दो कारणों से अहम है। एक तो ये मेक इन इंडिया का उत्तम उदाहरण है, और दूसरा, ये इस क्षेत्र में रोजगार का भी बड़ा माध्यम बन रही है। 

- एक और वजह है जिसकी वजह से मैं आपको इस प्रोजेक्ट के बारे में थोड़ा विस्तार से बताना चाहता हूं। इस प्रोजेक्ट को 2007 में मंजूरी दी गई थी। मंजूरी के बाद 8 साल तक इसकी फाइलों में पावर नहीं आ पाई। 3 साल पहले एनडीए सरकार ने इस पर काम शुरू करवाया और अब पहला फेज पूरा भी कर दिया है। गांधी जी की इसी भावना को जीते हुए, सवा सौ करोड़ देशवासी मिशन मोड पर काम कर रहे हैं। ये उनका स्वच्छाग्रह ही है कि 2014 में स्वच्छता का जो दायरा 40 प्रतिशत से भी कम था, वो अब बढ़कर 80 प्रतिशत से भी ज्यादा हो चुका है। 

- ये लोगों की इच्छाशक्ति ही है कि 4 अप्रैल, यानि पिछले एक हफ्ते में , जिस दौरान सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह सप्ताह मनाया गया है, बिहार, यूपी, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर में लगभग 26 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है। स्वच्छ भारत अभियान ने देश की करोड़ों-करोड़ महिलाओं की जिंदगी जिस तरह बदली है, उससे आप भली-भांति परिचित हैं। एक शौचालय के निर्माण से महिला को सम्मान, सुरक्षा और स्वास्थ्य, तीनों मिल रहा है। मुझे बताया गया है कि अब तो बिहार में भी शौचालयों को ‘इज्जत घर’ कहकर बुलाया जाने लगा है। गांधी जी ने यहां चंपारण में किसान, श्रमिक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर-इंजीनियर सभी को एक ही पंक्ति में ला खड़ा किया था। स्वच्छाग्रही के नाते हमारा रोल भी वैसा ही होना चाहिए। स्वच्छता का ये संदेश समाज के हर व्यक्ति, हर तबके तक पहुंचे, ऐसी हमारी कोशिशें होनी चाहिए।

स्वच्छाग्रहियों का हुआ सम्मान

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को "स्वच्छ भारत अभियान" की शुरुआत की थी। इस अभियान का मकसद देश को स्वच्छ बनाना और खुले में शौच से मुक्त कराना था। स्वच्छ भारत अभियान को साकार करने के लिए देशभर में कई वॉलेंटियर्स तैयार किए गए, जिन्हें "स्वच्छग्रही" कहा जाता है। प्रधानमंत्री मोदी मोतिहारी के गांधी मैदान में "सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह" अभियान की शुरुआत की। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देशभर से 20 हजार से ज्यादा स्वच्छग्रही बिहार पहुंचे थे। इनमें से 10 स्वच्छग्रहियों को पीएम मोदी सम्मानित किया। बताया जाता है कि इस समय देश भर में 4 लाख 20 हजार से ज्यादा स्वच्छग्रही हैं और 2019 तक इनकी संख्या को 6.5 लाख तक पहुंचाने का टारगेट रखा गया है।

 

 

 

सबसे पॉवरफुल इंजन को दिखाएंगे हरी झंडी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मधेपुरा में बनी लोकोमोटिव रेल फैक्ट्री का उद्घाटन करेंगे। इसके तहत देश के पहले सबसे ज्यादा पॉवरफुल रेल इंजन को भी हरी झंडी दिखाई जाएगी। पीएम मोदी 12,000 हॉर्स पॉवर वाले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव रेल इंजन को फैक्ट्री से रवाना करेंगे। इसी के साथ भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जिनके पास 12,000 हॉर्स पॉवर या इससे ज्यादा पॉवर वाले रेल इंजन हैं। अभी तक भारत के पास सबसे ज्यादा पॉवर वाला 600 हॉर्स पॉवर का रेल इंजन है। इस पॉवर वाले रेल इंजन के कारण ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ जाएगी। बताया जा रहा है कि 12,000 हॉर्स पॉवर वाले रेल इंजन को अभी मालगाड़ियों में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे इनकी स्पीड 60 kmph से 120 kmph हो जाएगी।

रेलवे का पहला FDI प्रोजेक्ट

जानकारी के मुताबिक, मधेपुरा में बनी लोकोमोटिव रेल फैक्ट्री रेलवे सेक्टर में पहला फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) प्रोजेक्ट है। इसके लिए साल 2015 में भारत और फ्रांस के बीच डील हुई थी। इसे फ्रांसिसी कंपनी एल्सटॉम और इंडियन रेलवे ने मिलकर बनाया है, जिसमें एल्सटॉम की हिस्सेदारी 74% और इंडियन रेलवे की हिस्सेदारी 26% है। बताया जा रहा है कि इस फैक्ट्री के लिए एल्सटॉम ने 1200 करोड़ रुपए का इन्वेस्ट किया है। 

11 साल में बनेंगे 800 रेल इंजन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मधेपुरा रेलवे फैक्ट्री में आने वाले 11 सालों में 800 रेल इंजन तैयार किए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक, 2019-20 में इस फैक्ट्री में करीब 35 और 2020-21 में 60 रेल इंजन बनेंगे। इसके बाद इस फैक्ट्री में हर साल 100 इंजन बनाए जाएंगे और इस तरह से 11 सालों में 800 इंजन बनाए जाएंगे। इसके साथ ही इस फैक्ट्री में रेल इंजन के लिए टेस्टिंग ट्रेक भी बनाए गए हैं।

क्या है चंपारण सत्याग्रह?

दरअसल, 10 सितंबर 1917 को राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारण से अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, इसे ही चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। 1917 में किसानों से जबरन नील की खेती कराई जा रही थी और गांधी जी ने इसी के खिलाफ आंदोलन किया था। इस आंदोलन का मकसद किसानों के अधिकारों के लिए लड़ना था। पिछले साल चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह की शुरुआत की गई थी और मंगलवार को इसका समापन किया जा रहा है।

Created On :   10 April 2018 5:57 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story