मरीजों को ले जाना पड़ता है खाट पर - सात साल में नहीं बन पाई एक किमी. सड़क

Since 7 years road has not built, patients have to be taken from the cot
मरीजों को ले जाना पड़ता है खाट पर - सात साल में नहीं बन पाई एक किमी. सड़क
मरीजों को ले जाना पड़ता है खाट पर - सात साल में नहीं बन पाई एक किमी. सड़क

डिजिटल डेस्क उमरिया । तहसील मुख्यालय चंदिया से 10 किमी. दूर पतरेई पंचायत का अतरिया गांव केवल पहुंच मार्ग के चलते विकास की मुख्य धारा से कटा हुआ है। शत-प्रतिशत बैगा बाहुल्य आबादी वाला यह क्षेत्र बांधवगढ़ के कोर एरिया में आता है। पांच सौ से अधिक आबादी जंगल व उमरार नदी के बीच बसी हुई है। मुख्य मार्ग से सड़क न होने से स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाता।
गांव में नहीं आती एंबुलेंस
ग्रामीण नंदी बाई बैगा का कहना है हमारे गांव में जननी एक्सप्रेस तक नहीं आ पाती। डिलेवरी के लिए 5 किमी. दूर तक खितौली मार्ग तक जाना पड़ता है। बारिश में तो पैदल ही गर्भवती महिला को खाट में रखकर कांधों के सहारे ले जाना पड़ता है। गाड़ी नहीं आने पर चंदिया तक कंधे में ही ले जाना पड़ता है। रमिया बाई का कहना है गांव की सड़क न बनने से सर्वाधिक समस्या है। सड़क न होने के चलते जंगल के डर व दूर होने से हमारे बच्चे आठवीं के बाद की शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाते। सड़क बनने से कम से कम बच्चों का भविष्य सुधरेगा। युवा नरतनी बैगा का कहना है बारिश के सीजन में एक तरफ उमरार उफान पर आ जाती है। दूसरी तरफ सड़क के टूटू हुए नाले पानी में डूब जाते हैं। ऐसे समय पर यदि गांव से बाहर जंगल में फंसे तो सिवाय इंतजार कोई मौका नहीं रह जाता। मार्ग ठप  हो जाता है।

लोगों की  जान भी जा चुकी
करकेली जनपद अंतर्गत पतरेई पंचायत में अतरिया के साथ ही झाला, टेकन पोषक गांव भी शामिल हैं। कुल 3 हजार की आबादी में से अतरिया गांव में 5 सौ लोग केवल बैगा जनजाति के रह रहे हैं। लोगों की पेयजल आपूर्ति के लिए दो हैण्डपंप लगे हुए हैं। इनमे से एक बारिश के सीजन में मटमैला पानी उगलने लगता है। शिक्षा के लिए मिडिल तक स्कूल हैं, जो बारिश में हर साल बंद हो जाती है। आंगनबाड़ी, गरीबी रेखा राशन, उज्जवला जैसी योजनाओ का लाभ भी शत-प्रतिशत आबादी तक नहीं पहुंच पा रहा। स्थानीय लोगों की मानें तो उन्हें सर्वाधिक दिक्कत चिकित्सकीय सेवाओं के लिए होती है। बारिश में दो तरफ से पहला सड़क मार्ग दूसरा कच्चे मार्ग का नाला उफनते ही लोग जंगल में कई दिनों तक मौसम की कैद में घिरे रह जाते हैं। लोगों की मानें तो कई लोगों की इस चक्कर में जान भी जा चुकी हैं।

 

Created On :   19 Feb 2019 7:42 AM GMT

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