सबरीमाला: 100 पुलिसकर्मियों के साथ पहुंची महिलाओं को बिना दर्शन लौटाया

Sabarimala issue: Two Women back after protest in the front of temple
सबरीमाला: 100 पुलिसकर्मियों के साथ पहुंची महिलाओं को बिना दर्शन लौटाया
सबरीमाला: 100 पुलिसकर्मियों के साथ पहुंची महिलाओं को बिना दर्शन लौटाया
हाईलाइट
  • दोनों महिलाओं को लेकर मंदिर तक पहुंची थी पुलिस
  • मंदिर के बाहर खड़ा है भक्तों का एक समूह
  • महिलाओं के पहुंचने पर तंत्री ने बंद कर दिए कपाट

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। अयप्पा के दर्शन करने शुक्रवार को पहुंची दो महिलाओं को भी खाली हाथ लौटना पड़ा। सुरक्षा के लिहाज से महिलाएं अपने साथ 100 पुलिसकर्मियों को भी साथ ले गई थीं। इसके बाद भी मंदिर प्रबंधन ने उन्हें मंदिर में घुसने नहीं दिया। कविता जक्कल और रेहाना फातिमा नाम की ये महिलाएं अयप्पा के दर्शन करने मंदिर के दरवाजे तक तो पहुंची थीं, लेकिन उन्हें अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। केरल के आईजी ने कहा कि हम दोनों महिलाओं को लेकर मंदिर तक तो पहुंच गए थे, लेकिन मंदिर के पुजारी ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया।

 

आईजी ने कहा कि तंत्री (मंदिर के पंडित) ने उन्हें चेतावनी दी कि महिलाओं को आगे ले जाने की कोशिश की तो मंदिर बंद कर दिया जाएगा। फातिमा समाज सेविका, जबकि कविता पत्रकार हैं। कविता और उनके 4 साथी 80 पुलिसकर्मियों के घेरे में चल रहे थे, जबकि 20 पुलिसकर्मी रास्ता क्लीयर करते हुए आगे चल रहे थे। दो घंटे पैदल चलने के बाद सभी मंदिर के कपाट तक पहुंचे थे। पुलिस महानिरीक्षक एस श्रीजीत के नेतृत्व में दोनों महिलाओं ने करीब 6.45 बजे चढ़ाई शुरू की थी। एक प्रदर्शनकारी भक्त ने रास्ते में इन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उसे हटा दिया, हालांकि, भक्तों का एक समूह मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने खड़ा हुआ है, जहां से मंदिर जाया जाता है।


क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला अयप्पा मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया था। SC के फैसले से पहले मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पुरुष प्रधानता दर्शाने वाले नियम में बदलाव किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिलाओं का स्थान आदरणीय है। दो तरफा नजरिए से महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है।

 

 

 

Created On :   19 Oct 2018 9:38 AM GMT

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