शक्ति मिल गैंग रेप केस : बचाव पक्ष की दलील- हत्या से बड़ा अपराध नहीं है दुष्कर्म

Shakti Mill Gang Rape Case : Defendants plea - rape is not a major offense like murder
शक्ति मिल गैंग रेप केस : बचाव पक्ष की दलील- हत्या से बड़ा अपराध नहीं है दुष्कर्म
शक्ति मिल गैंग रेप केस : बचाव पक्ष की दलील- हत्या से बड़ा अपराध नहीं है दुष्कर्म

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शक्तिमिल में फोटोग्राफर के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए आरोपियों के वकील ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि भारतीय दंड संहिता की जिस धारा 376ई के तहत उनके मुवक्किलों को दोषी ठहराया जाना अतार्किक है। इस धारा के तहत दुष्कर्म के अपराध में एक बार दोषी पाए जाने के बाद दोबारा यही अपराध करनेवाले आरोपी को अपराध साबित होने पर फांसी व आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता युग चौधरी ने कहा कि हत्या को बड़ा अपराध माना गया है, इसलिए इसके लिए फांसी की सजा प्रावधान किया गया है। क्योंकि हत्या के अपराध में एक जीवन समाप्त हो जाता है। जबकि दुष्कर्म के मामले में ऐसा नहीं होता यह शरीर के विरुध्द होनेवाला अपराध है। हत्या की तुलना में दुष्कर्म को बड़ा अपराध नहीं माना जा सकता है। सरकार ने दुष्कर्म के अपराध को दोहराने वाले अपराधियों के लिए एक तरह से सजा को बढाया है। इस लिहाज से देखा जाए तो चोरी व दूसरे अपराध को बार-बार अंजाम देने वाले भी अपराधी हैं, तो क्या उसके लिए भी फांसी की सजा का प्रावधान किया जाएगा। धारा 376 ई संविधान के खिलाफ है। क्योंकि यह धारा राष्ट्रपति व राज्यपाल के अधिकारों पर भी असर डालती है। एक तरह से इस धारा को लाने से पहले विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई चल रही है। शुक्रवार को भी इस याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। 

आरोपियों ने मुख्य रुप से अपनी याचिका में  धारा 376ई  की संवैधानिकता को चुनौती दी है जिसके अंतर्गत उन्हें साल 2014 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। 22 अगस्त 2013 को मुंबई के महालक्ष्मी इलाके में स्थित शक्ति मिल परिसर में महिला फोटोग्राफर के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत ने आरोपी विजय जाधाव, कासिम बंगाली व सलीम अंसारी को अप्रैल 2014 में फांसी की सजा सुनाई थी। निर्भया कांड के बाद हुए संसोधन के तहत भारतीय दंड संहिता में इस धारा को समाहित किया गया था। इस धारा के मुताबिक यदि किसी को दोबारा दुष्कर्म का दोषी पाया गया तो उसे 376ई के तहत कोर्ट फांसी का सजा सुना सकता है। आरोपियों ने याचिका में दावा किया गया है कि अभियोजन पक्ष ने गलत तरीके से उनके प्रकरण में धारा 376 ई को शामिल किया है। 

Created On :   21 Feb 2019 4:03 PM GMT

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