ऐसे हिंसक आयोजनों पर लगा है प्रतिबंध, लेकिन चोरी-छिपे जारी हैं आयोजन

Such violent events are banned but organised hidden in Some areas
ऐसे हिंसक आयोजनों पर लगा है प्रतिबंध, लेकिन चोरी-छिपे जारी हैं आयोजन
ऐसे हिंसक आयोजनों पर लगा है प्रतिबंध, लेकिन चोरी-छिपे जारी हैं आयोजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कामठी रोड पर एक मैदान में सांडों की इस लड़ाई को देखने के लिए भारी संख्या में लोग एकत्र हैं। ऐसी हिंसक लड़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन कानून को धत्ता बताते हुए इसका आयोजन कर दिया जाता है। 

जल्लीकट्टू : तमिलनाडु में प्रसिद्ध इस खेल में सिक्कों की थैली बैलों के सिंगों पर बांधी जाती है। फिर उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है, ताकि लोग उन्हें पकड़कर सिक्कों की थैली हासिल कर सकें।

डॉग फाइट : दिल्ली और हरियाणा में आज भी कई जगहों पर डॉग फाइट कराई जाती है। करोड़ों रुपए का सट्टा भी लगाया जाता है। लड़ाकू कुत्तों को भूखा रखा जाता है और लड़ाई में उतारने से पहले कई तरह की दवाएं भी दी जाती हैं।  

मुर्गों की लड़ाई : हैदराबाद मुर्गों की लड़ाई के लिए काफी मशहूर है। यहां विशेष किस्म की नस्ल के मुर्गों को लड़ाई के लिए ही पाला जाता है। हैदराबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है, लेकिन चोरी-छुपे इस खेल का आयोजन किया जाता है। 

बुलबुल की लड़ाई : असम में मकर संक्रांति में बुलबुल को लड़ाते हैं। असम का हयागरीब माधव मंदिर इस खेल का प्रमुख अड्डा है। पिछले साल हाईकोर्ट ने इस पर बैन लगा दिया है, लेकिन फिर भी इसे छुप-छुप कर खेला जाता है।
 

Created On :   2 Jan 2019 11:40 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story