कटनी-नन्हीं सोच को बढ़ा सम्मान, निबंध प्रतियोगतिा में ग्लोबल वार्मिंग पर जताई चिंता, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

Surabhi choubey was honored by the president in national level essay competition
कटनी-नन्हीं सोच को बढ़ा सम्मान, निबंध प्रतियोगतिा में ग्लोबल वार्मिंग पर जताई चिंता, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
कटनी-नन्हीं सोच को बढ़ा सम्मान, निबंध प्रतियोगतिा में ग्लोबल वार्मिंग पर जताई चिंता, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

डिजिल डेस्क,कटनी। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है, मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। यह लाइन कटनी जिले के स्लीमनाबाद जनपद अंतर्गत धनवाही गांव की सुरभि चौबे पर पूरी तरह से सटीक बैठती है। जिसने सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए नेशनल लेवल की निबंध प्रतियोगिता में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मानित होते हुए प्रदेश और जिले का नाम बढ़ाया। ग्लोबल वार्मिंग पर लिखे गए निबंध के बाद राष्ट्रपति भवन में इस विषय पर परिचर्चा के लिए भी प्रत्येक प्रतिभागियों को बुलाया गया। छात्रा ने गंभीर विषय पर प्रस्तुतीकरण देकर निर्णायकों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया।  हाल ही में जब 14 फरवरी को परिणाम सामने आया, तब उस कामगार पिता राकेश चौबे और गृहणी माता सुमन चौबे के आंखों में खुशी के आंसू आ गए। जिस बिटिया के कारण आज पूरा देश उनका नाम ले रहा है।
सफलता का परचम लहराया-
देश की बड़ी कंपनी टाटा इंडिया ने स्कूली शिक्षा विभाग से यह निबंध प्रतियोगिता आयोजित कराई थी। सुरभि ने स्कूल स्तर पर ही यह बता दिया था कि उसकी सफलता यहां नहीं रुकने वाली है। संभागीय स्तर पर प्रतिभागियों को पिछाड़ते हुए प्रदेश स्तर में होने वाली प्रतियोगिता मेें अपनी जगह पक्की की। यहां पर भी बिटिया ने सफलता का परचम लहराते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। मध्यप्रदेश से राष्ट्रीय स्तर के लिए चार विद्यार्थियों का चयन हुआ।
छोटी उम्र में पर्यावरण पर सटीक चिंता-
ग्लोबल वार्मिंग से आज पूरा विश्व चिंतित है। ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान को लेकर छात्रा सुरभि चौबे की चिंता लेखनी के माध्यम से विशेषज्ञों तक पहुंची। समस्या के साथ समाधान का भी हल निबंध में रहा। छात्रा का कहना है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से पूरा विश्व ही इस समस्या से जूझ रहा है। खेती-किसानी क्षेत्र से जुड़े होने के कारण जमीनी स्तर से महसूस करते हुए अपनी बातें निबंध के माध्यम से रखी।
दस किलोमीटर दूर स्कूल-
धनवाही से स्लीमनाबाद की दूरी दस किलोमीटर पड़ती है। इसके बावजूद पढ़ाई
के प्रति छात्रा की लगन ने इस दूरी को कम कर दी। कक्षा दसवीं में 94 प्रतिशत लाकर स्कूल के होनहार छात्रों में शामिल हुई। टॉपर की श्रेणी में शामिल होने के बाद जहां विद्यार्थी मैथ्स या बायो गु्रप में ही कैरियर बनाना चाहते हैं। वहीं इस छात्रा ने कला संकाय को चुनते हुए कक्षा ग्यारहवीं में ही अपनी मंशा जता दिया कि अभी उसके जीवन में सफलता के और पल आने वाले हैं। श्रमिक परिवार से संबंध शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्लीमनाबाद के कक्षा ग्यारहवीं में अध्ययनरत छात्रा की सफलता के बीच परिवार की आर्थिक स्थिति भी सामने नहीं आई। पिता के पास इतनी जमीन भी नहीं कि वह किसानी से गुजरा कर सके। केवल 25 डिसीमिल में खेती के साथ प्राइवेट रुप से श्रमिक का काम करने वाले राकेश कुमार चौबे कहते हैं कि बिटिया की सफलता ने उन्हें उस मुकाम पर पहुंचा दिया है। जहां पर पहुंचने का सपना प्रत्येक बच्चे के माता-पिता  संजोए रहते हैं। बेटा सुभांषु चौबे पॉलीटेक्निक में पढ़ाई कर रहा है।

Created On :   16 Feb 2019 4:13 PM GMT

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