गांंव की इन बेटियों ने अपनी पॉकेट मनी से बनवाया टायलेट

Two villagers daughter build toilet from pocket money in yavatmal
गांंव की इन बेटियों ने अपनी पॉकेट मनी से बनवाया टायलेट
गांंव की इन बेटियों ने अपनी पॉकेट मनी से बनवाया टायलेट

डिजिटल डेस्क, दिग्रस/यवतमाल। पाकिट मनी के लिए मिले पैसों से अक्सर बच्चे चॉकलेट, मिठाई आदि खरीदते हैं। इसके लिए मना करने पर बच्चे नाराज हो जाते हैं लेकिन यहां के गांव की बेटियों ने अपने पाकिट मनी को जमा कर टायलेट बनवाया है। 

दोनों हैंं बहनें
दिग्रस की दो बालिकाओं ने कभी सोचा नहीं होगा कि जेबखर्च के पैसे बचाकर वह जो काम करने जा रहीं हैं, उसकी कभी सराहना भी होगी। इन बालिकाओं के नाम अस्मिता व निकिता है। यह दोनों राजेश राठोड़ की कन्या हैं। वे आमला तांडा में रहती हैं। इनके दोनों अभिभावक मजदूरी करने के लिए पुणे गए हुए हैं। घर में शौचालय नहीं होने की बात उन्हें बहुत खल रही थी, मगर उनके पास कोई चारा नहीं था। इसके बावजूद इन बालिकाओं ने हिम्मत फिर भी कोशिश जारी थी। वे समझ नहीं पा रहीं थीं कि शुरुआत कहां से की जानी है। एक दिन गांव में गुडमॉंर्निग का दल पहुंचा। इस पथक ने ग्रामीणों को बताया कि जिनके घर शौचालय नहीं हैं, उन्हें बताया गया कि सिर्फ गड्ढा खोदो बाकी सरकार करेगी। गुडमॉर्निंग पथक की यह बात इन दोनों बालिकाओं के दिलों में धर कर गई। उन्होंने स्कूल की बचत बैंक में जमा किए गए अपने जेब खर्च के पैसे निकाल कर शौचायल का गड्ढा खुदवाया। जो काम करने के पहले गांव के बड़े-बूढ़ेे कई बार सोचते हैं, वही काम इन दोनों निडर बेटियों ने पल भर में सोच कर शुरू कर दिया। दोनों बालिकाओं के इस कार्य की सराहना हो रही है। 

खुले में शौच की संख्या में कमी
सरकार के सहयोग से आज कल हर गांव के हर एक घर में शौचालय बनाए जा रहे हैं। सरकार के इस अभूतपूर्व कदम से खुले में शौच जानेवालों की संख्या में भारी कमी आई है। इस कारण इन दोनों बालिकाओं को खुले में शौच जाने में शर्म महसूस होती थी। दोनों बहने माता-पिता द्वारा भेजे गए पैसों में जीवन-यापन करती हैं। घर के सभी काम कर पढ़ाई-लिखाई भी करती हैं। गुडमॉर्निग दल के सलाह ने इनके घर भी शौचालय का काम शुरू है। स्वच्छ भारत मिशन के मार्गदर्शन में गुडमॉर्निंग पथक गांव-गांव में पहुंच रहे हैं। कक्षा 8 में अध्ययनरत निकिता ने स्कूल के जमा मिठाई के पैसे निकाल कर लाया। सरपंच किरण तायडे, पुलिस पटेल माया जाधव व ग्रामीणों के सहयोग से 800 रुपए में गड्ढा खुदवाया। दूसरे दिन गुडमॉर्निग दल पहुंचा और सभी कागजी कार्रवाई करने के बाद शौचालय का निर्माणकार्य शुरू हुआ। सहायक बीडीओ रमेश कारोडे, एस. के. गुलधने, आर. व्ही. ढोले, एम. पी. यादव, ग्राम सेवक खिरेकर, धवस ठाकरे, राऊत, के. टी. जाधव, सुनील राठोड़ आदि ने भी इस काम में सहयोग किया। 

Created On :   6 Feb 2018 11:17 AM GMT

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