क्यों जलाई जाती है होलिका ? जानें होलिका दहन का मुहूर्त और पूजा विधि

Why is it burnt Holi ? Learn about the Holika worship method
क्यों जलाई जाती है होलिका ? जानें होलिका दहन का मुहूर्त और पूजा विधि
क्यों जलाई जाती है होलिका ? जानें होलिका दहन का मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैसे तो हर त्यौहार का अपना एक रंग होता है जिसे आनंद या उल्लास कहते हैं, लेकिन हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि असल रंगों से भी होली का त्यौहार मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हरिण्यकशिपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के द्वारा जीवित जला देना चाहा था, लेकिन भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिए बनाई चिता में स्वयं होलिका जल मरी। इसलिए इस दिन होलिका दहन की परंपरा भी है।

होली पूजा का महत्व
घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिए महिलाएं इस दिन होली की पूजा करती हैं। होलिका दहन के लिए लगभग एक महीने पहले से तैयारियां शुरु कर दी जाती हैं। कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है।

20 मार्च 2019 को होलिका दहन है इस दिन सुबह 9 बजकर 44 मिनिट दिन से भद्रकाल लग रहा है जो रात्रि 8 बजकर 36 मिनिट तक रहेगा इस भद्राकाल में होलिका दहन शुभकारी नही होता है। इसके बाद ही होलिका दहन करना मंगलकारी रहेगा। होली की तैयारी हर घर में शुरू हो गई है। घरों के साथ-साथ बाजार भी सजने लगे हैं। होली के दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते हैं और पुराने गिले-शिकवों को दूर करते हैं।

होलिका की पवित्र अग्नि में लोग जौ की बाल और शरीर पर लगाए गए सरसों के उबटन को डालते हैं। ऐसी मान्यता है कि ये करने से घर में खुशी आती है। होलिका दहन भद्रा में कभी नहीं होता। होली के अगले दिन दुल्हंडी का पर्व मातंग योग में मनाया जाएगा। दोनों दिन क्रमश: पूर्वा फागुनी और उत्तरा फागुनी नक्षत्र पड़ रहे हैं। स्थिर योग में आने के कारण होली का शुभ पर्व माना गया है।

होलिका पूजन विधि
होली में अग्नि प्रज्योलित करने से पूर्व होलीका का पूजन करने का विधान है। जातक को होलिका का पूजा करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पूजन करने के लिए माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज में गेंहू की बालियां और साथ में एक लोटा जल रखना चाहिए और उसके बाद होलिका के चारों ओर परिक्रमा करनी चाहिए। अगले दिन होली की भस्म लाकर चांदी की डिबिया में रखना चाहिए।
 

Created On :   11 March 2019 11:55 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story