विकास की उपेक्षा का दंश झेल रहा डिंडोरी, निर्णायक भूमिका में होते है आदिवासी मतदाता

विकास की उपेक्षा का दंश झेल रहा डिंडोरी, निर्णायक भूमिका में होते है आदिवासी मतदाता
  • डिंडोरी में दो विधानसभा क्षेत्र
  • अनुसूचित जनजाति आरक्षित है दोनों सीट
  • दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डिंडोरी जिले में दो विधानसभा सीट डिंडोरी और शाहपुर आती है। डिंडोरी जिले की कुल जनसंख्या का लगभग 64% अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आती है। बैगा जनजाति जिले की प्रमुख जनजाति है। बैगा जनजाति को राष्ट्रीय मानव के रूप में भी जाना जाता है।

डिंडोरी जिले में रोजगार, शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य के लिए बेहतर व्यवस्था न होने से स्थानीय लोगों में सिस्टम और सरकार के प्रति नाराजगी है। जिले में बेरोजगारी दर बढ़ रही है। मजदूरी के लिए यहां के लोग अन्य प्रदेशों में चले जाते है। समूचा जिला आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहा है और जन प्रतिनिधि गंभीर नहीं है। जिले में जल संकट, पलायन की समस्या है।

अभी हाल ही में डिंडोरी ने जिले बने हुए 25 साल पूरे कर लिए है, जिला रजत जयंती मना रहा है और देश आजादी का अमृत महोत्सव। आजादी के 75 साल बाद भी डिंडोरी में रेलवे लाइन नहीं है। मध्य प्रदेश की लाइफलाइन और अपने आप में सियासत को समेटे हुए मां नर्मदा अमरकंटक से निकलने के बाद सबसे पहले डिंडोरी पहुंचती है, लेकिन डिंडोरी में मां नर्मदा की उपेक्षा की जा रही है। विकास के नाम पर डिंडोरी को अब तक सिर्फ वादे मिले हुए है। और मां नर्मदा को गंदे नालों का पानी। कांग्रेस के इस गढ़ में बीजेपी ने क्षेत्र के स्थानीय नेता ओमप्रकाश धुर्वे को राष्ट्रीय सचिव बनाकर आदिवासी मतदाताओं में पैठ बनाने की कोशिश की है, हालांकि बीजेपी की यह रणनीति कितनी सही साबित होती है। ये तो आने वाले चुनावी नतीजे ही बता पाएंगे। वैसे आपको बता दें ओमप्रकाश धुर्वे को न केवल मध्यप्रदेश बल्कि डिंडोरी से सटे छत्तीसगढ़ में भी काफी चर्चित चेहरा माना जाता है।

जयस की बढ़ती लोकप्रियता और युवाओं तक पहुंच प्रमुख राजनैतिक पार्टियों की मुश्किल बढ़ा सकती है। जयस के बढ़ते प्रभाव से चुनावी समीकरण बिगड़ने की आशंका से राजनीतिक दल बैचेन हैं।

डिंडोरी विधानसभा सीट

अनुसूचित जनजाति आरक्षित डिंडोरी विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले की एक सीट है। ये डिंडोरी लोकसभा सीट का हिस्सा है, जो महाकौशल इलाके में पड़ता है। अकेले डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र में डेढ़ लाख से ज्यादा आदिवासी मतदाता है। आदिवासी वोटर ही यहां निर्णायक भूमिका में होते है। 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम यहां से जीतने की हैट्रिक लगा चुके है। मरकाम की जीत के साथ ही डिंडोरी कांग्रेस का गढ़ बन गया। यहां जीजीपी और जयस चुनाव में बहुकोणीय मुकाबला बना देते है। डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र को नक्सलवादियों के आरामगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली मूवमेंट करने के बाद डिंडोरी में ठहरते हैं, फिर सब कुछ सामान्य होने के बाद छत्तीसगढ़ वापस चले जाते है।

2018 में कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम

2013 में कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम

2008 में कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम

2003 में बीजेपी के ईश्वर दास रोहाणी

1998 में बीजेपी से जेहर सिंह मरावी

1993 में कांग्रेस के नन्हा सिंह

1990 में कांग्रेस के नंदकुमार पटेल

1985 में कांग्रेस के धरम सिंह मेश्राम

1980 में कांग्रेस के लक्ष्मीप्रसाद पटेल

1977 में निर्दलीय मोती सिंह संध्या

शाहपुर विधानसभा सीट

शाहपुर विधानसभा सीट भी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। सीट पर एसटी मतदाताओं दबदबा है। शाहपुर तहसील के ग्राम घुघवा स्थित अन्तर्राष्ट्रीय जीवाश्म पार्क है। इसे विश्व का सबसे छोटा अंतर्राष्ट्रीय पार्क भी कहा जाता है। यहां कई जीवाश्म व डायनासोर के जीवाश्म अभी भी विद्यमान है। यह जीवाश्म पार्क जिले को एक अलग ही पहचान दिलाता है।

2018 में कांग्रेस के भूपेंद्र मरावी

2013 में बीजेपी के ओमप्रकाश धुर्वे

2008 में कांग्रेस के गंगा बाई उरेती

2003 में बीजेपी की डॉ सी.एस भवेदी

1998 में कांग्रेस की गंगा बाई

1993 में कांग्रेस के कृष्णा कुमार

1990 में कांग्रेस के कृष्ण कुमार

1985 में बीजेपी के अनूप सिंह मरावी

1980 में कांग्रेस से कृष्ण कुमार

1977 में अनूप सिंह मरावी

Created On :   29 July 2023 11:47 AM GMT

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