पुरानी पेंशन शुरू करने की घोषणा कर, क्या वाकई अखिलेश ने बड़ा दांव चल दिया है?

By announcing the introduction of old pension, has Akhilesh really made a big bet?
पुरानी पेंशन शुरू करने की घोषणा कर, क्या वाकई अखिलेश ने बड़ा दांव चल दिया है?
इलेक्शन एक्सपर्ट से समझिए पुरानी पेंशन शुरू करने की घोषणा कर, क्या वाकई अखिलेश ने बड़ा दांव चल दिया है?

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले ही महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। प्रदेश की सियासत में हर रोज कुछ न कुछ उठापटक देखने को मिल रही है। राजनीतिक दल सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में यूपी की सियासत में राजनीतिक दलों द्वारा लोकलुभावन घोषणाएं करना शुरू कर दी गई है। आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीते गुरूवार को घोषणा की कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में वापस आती है तो प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाएगी। जिसके बाद से यूपी की सियासत में हलचल मच गई और राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गईं कि अखिलेश ने वोट बटोरने के लिए बड़ा सियासी दांव खेला है। आइए जानते हैं कि इन सभी मुद्दों पर क्या बोले राजनीतिक विशेषज्ञ। 

अखिलेश का मास्टरस्ट्रोक!

यूपी चुनाव को लेकर सपा पार्टी द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की घोषणा के बाद प्रदेश की सियासत में गरमी बढ़ गई है। इन्हीं मुद्दों पर भास्कर हिंदी संवाददाता अनुपम तिवारी ने वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला से बातचीत की। जब वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला से पूछा गया कि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली की घोषणा सपा का मास्टर स्ट्रोक साबित होगा। इस पर ज्ञानेंद्र शुक्ला ने कहा कि ये अखिलेश का ये मास्टर स्ट्रोक कहा जा सकता है, क्योंकि यूपी में बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारियों की बहुत दिनों से पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग भी रही है। आगे शुक्ला कहते हैं कि प्रदेश में करीब 14 लाख कर्मचारी और शिक्षक कार्यरत हैं, अखिलेश यादव ने नब्ज को पकड़ा है। इससे उनको इसका फायदा मिलेगा।

बीजेपी में हलचल

बीजेपी को इससे खतरे के सवाल पर ज्ञानेंद्र शुक्ला कहते हैं कि बीजेपी खेमा इसको लेकर सतर्क जरूर हुआ होगा। क्योंकि यूपी चुनाव में एक-एक वोट कीमती है, कई बार हार जीत भी कम अंतर से होती है।

उन्होंने आगे कहा कि अखिलेश यादव जातीय समीकरण को साधते हुए शुरू से ही छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर रहे हैं। अब वो छोटे- छोटे सेक्शनों पर ध्यान दे रहे हैं, जैसे उन्होंने कर्मचारियों व शिक्षकों को लेकर घोषणा की और अब युवाओं को लेकर बात कर रहे हैं। अगर इसमें उनको फायदा मिलेगा तो जाहिर सी बात है कि बीजेपी के लिए खतरे का संकेत होगा।

इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश यादव पर तंज कसने से भी नहीं चूके। अखिलेश ने पिछले दिनों कहा था कि बीजेपी शासनकाल में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का शोषण हुआ है, सपा निजीकरण के खिलाफ है। इस बयान पर शुक्ला ने कहा कि अखिलेश सरकार में भी धड़ल्ले से आउटसोर्सिंग होती रही है। अगर उनको शोषण दिखता है तो सही है लेकिन अपने कार्यकाल में ही बंद कर देना चाहिए।

बीजेपी की रणनीति क्या होगी?

शुक्ला कहते हैं कि सपा की इन सारे दांव पेचों की काट बीजेपी भी निकालेगी। क्योंकि बीजेपी खेमे में भी रणनीतिकार हैं और हो सकता है कि अपने मेनिफेस्टो में कुछ इसी तरह की चीजों को जोड़ने के लिए बाध्य हो। पेंशन बहाली को लेकर शुक्ला कहते है कि अगर बीजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि इससे चुनाव में प्रभाव पड़ेगा। फिर बीजेपी भी अपनी घोषणा पत्र में कुछ न कुछ नया करने का प्रयास करेगी। अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती तो ऐसा माना जाना चाहिए कि उसे इससे बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला यूपी में बीजेपी सरकार की तरफ से लाभार्थियों को बांटे जा रहे राशन को लेकर कहते हैं कि ये बीजेपी के लिए सबसे मजबूत वोट बैंक साबित हो सकता है, उन्होंने कहा कि तमाम जातिगत समीकरणों को नकारते हुए बीजेपी का ये मजबूत वोट बैंक है। महंगाई के मुद्दे पर ज्ञानेंद्र शुक्ला कहते है कि यूपी में महंगाई का कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि अगर यूपी में महंगाई का मुद्दा होता तो उसे विपक्ष जरूर उठाता। 

Created On :   21 Jan 2022 2:18 PM GMT

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