मध्यप्रदेश बीजेपी में देखने को मिल सकता है बड़ा बदलाव, आदिवासी नेताओं को दी जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी!

Changes can be seen in the politics of Madhya Pradesh, big responsibility can be given to tribal leaders!
मध्यप्रदेश बीजेपी में देखने को मिल सकता है बड़ा बदलाव, आदिवासी नेताओं को दी जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी!
गुजरात के बाद एमपी की बारी मध्यप्रदेश बीजेपी में देखने को मिल सकता है बड़ा बदलाव, आदिवासी नेताओं को दी जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी!

डिजिटल डेस्क, भोपाल। गुजरात विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की अगली नजर 2023 में राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। जिसको देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं ने अभी से ही अपनी रणनीति बनानी शुरु कर दी है। इसी को ध्यान में रखते हुए सोमवार और मंगलवार को दिल्ली के बीजेेपी मुख्यालय में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की चिंतन बैठक हुई। बैठक के बाद से कई खबरें सामने निकलकर आ रही है। खबरों के अनुसार बैठक में आगामी चुनाव को लेकर पार्टी  ने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। 

अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने वाले है, उसमें भाजपा का गढ़ माना जाने वाला मध्यप्रदेश भी शामिल है। अब राजनीतिक विशेषज्ञ यह कयास लगा रहे है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है। अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले है। जिसको देखते हुए यहां कि सियासत केंद्र में आ गई है। गुजरात विधानसभा चुनाव में जिस तरह से अदिवासी इलाकों से बंपर वोटिग की खबरें सामने आई है उससे अब यह साफ हो गया है कि भाजपा ने आदिवासी वोटरों पर अपना फोकस तेज कर दिया है। 

पिछले दिनों राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को प्रदेश के आदिवासी अंचल में भारी समर्थन देखने को मिला था। उसे देखते हुए भाजपा हाईकमान ने प्रदेश में अदिवासी वोटर्स को लुभाने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी है। कांग्रेस पार्टी की आदिवासियों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने आदिवासी नेतृत्व को आगे लाने का काम शुरू कर दिया है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य में भाजपा संगठन और सरकार में आदिवासी वर्ग की भागीदारी बढ़ाने को लेकर सियासी कवायद भी तेज हो गई है। 

राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी वोटर्स को लुभाने के लिए  पेसा कानून को लागू करके एक और नया दाव खेला है। वहीं पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी आदिवासी बाहुल्य इलाके धार और झाबुआ में दौरा करके पार्टी को मजबूत करने का काम किया है। मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा संगठन और सरकार में पहले से ही फेरबदल की अटकलें लगाई जाने लगी है।  गुजरात में चुनाव के बाद उन अटकलों की अग्नि परीक्षा शुरू हो चुकी है। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी में जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। 
 
2018 में भाजपा को हुआ था नुकसान

2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में आदिवासी नेतृत्व की कमी  होने के कारण भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। गौरतलब है कि 2018 विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट भाजपा के हाथों से छिटक कर कांग्रेस के खाते में चली गई थी। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को इसका फायदा मिला। कांग्रेस ने आदिवासी वोटरों के प्रभाव वाली 47 सीटों में 30 सीटों पर अपना कब्जा जमाकर सत्ता में एक बार फिर से वापसी की थी। 2023 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा आदिवासी समुदाय से आने वाले किसी बड़े नेता को इसकी जिम्मेदारी सौंप सकती है। जिससे आदिवासी वोट बैंक को अपने पक्ष में किया जा सके। 


फिलहाल भाजपा की नजर उन आदिवासी नेताओं पर टिकी हुई है जिनकी छवि आदिवासी समाज में साफ-सुथरी बनी हुई है। मध्यप्रदेश में आदिवासी नेताओं के चेहरे की बात करें तो उसमें संघ की पंसद कहे जाने वाले उच्च सदन के सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का नाम सबसे ऊपर है। हालांकि, राज्य में भी सुमेर सिंह सोलंकी को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है। इससे पहले भी भाजपा ने आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिए सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा में भेजा था। 

70 से 80 सीटों पर आदिवासी वोटर्स का कब्जा
 
संघ भी लगातार आदिवासियों को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है। संघ ने इसके लिए पदाधिकारियों को आदिवासी क्षेत्र में प्रवास करने को कहा है। आदिवासी वोट बैंक की अहमियत प्रदेश में इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि विधानसभा चुनाव में 70 से 80 सीटों का भाग्य आदिवासी वोटर्स ही तय करते है। यही कारण है कि भाजपा ने आदिवासी नेताओं को प्रदेश की राजनीति में फ्रंट पर लाना शुरू कर दिया है। यदि ऐसे में  इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि 2023 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा हाईकमान आदिवासी नेतृत्व को आगे बढ़ाकर कोई बड़ा फैसला ले सकता है। 

Created On :   7 Dec 2022 3:30 PM GMT

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