समान नागरिक संहिता विधेयक: उत्तराखंड विधानसभा में पास हुआ यूसीसी बिल, शादी और संपत्ति से जुड़े मामलों में होगा बड़ा बदलाव, St को छूट

उत्तराखंड विधानसभा में पास हुआ यूसीसी बिल, शादी और संपत्ति से जुड़े मामलों में होगा बड़ा बदलाव, St को छूट
  • उत्तराखंड विधानसभा पारित हुआ यूसीसी बिल
  • कानून बनने से केवल एक कदम दूर
  • जनजातियों पर नहीं होगा लागू

डिजिटल डेस्क, देहरादून। समान नागरिक संहिता विधेयक (यनिफार्म सिविल कोड बिल) उत्तराखंड की विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने 6 फरवरी को विधानसभा के पटल पर इस विधेयक को पेश किया था। विधानसभा में बहुमत से पारित होने के बाद विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा। इसके साथ उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां समान नागरिक संहिता कानून यानी यूसीसी लागू होगा। इस कानून में प्रदेश की जनजातियों को बाहर रखा गया है।

इस बिल के कानून बनते ही कई शादी-ब्याह और संपत्ति से जुड़े मामलों में बड़े बदलाव होंगे। जैसे कि पत्नी या पति जिंदा रहते हुए बिना तलाक के दूसरी शादी करना गैरकानूनी होगा। इसके अलावा लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा। यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें 6 माह की सजा भी हो सकती है। आइए जानते हैं कानून बनने के बाद और क्या-क्या बदलाव होंगे।

  • समान संपत्ति का अधिकार

धामी सरकार द्वारा तैयार किए गए यूसीसी बिल में बेटों के साथ बेटियों को भी संपत्ति में समान अधिकार देने की बात कही गई है।

  • गोद लिए और सेरोगेसी से पैदा हुए बच्चों में समानता

यूसीसी विधेयक में गोद लिए और सेरोगेसी जैसी सहायक प्रजनन तकनीक के जरिए पैदा हुए बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं है। इन्हें भी अन्य बच्चों के जैसे ही जैविक माना जाएगा और उन्हें भी अन्य बच्चों के जैसे ही अधिकार दिए जाएंगे।

  • नाजायज बच्चे भी होंगे संपत्ति के अधिकारी

इस विधेयक में नाजायज और वैध बच्चों के बीच अंतर को खत्म किया गया है। अब वैध बच्चों के साथ अवैध संबधों से पैदा होने वाले बच्चे भी संपत्ति में बराबर के हकदार होंगे।

  • मृत्यू के बाद समान संपत्ति का अधिकार

इस विधेयक में समान संपत्ति के अधिकार को पिछले कानूनों से एकदम अलग रखा गया है। अब किसी व्यक्ति की मौत के बाद, उसके पत्नी और बच्चों को संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा मरने वाले व्यक्ति के माता पिता को उसकी संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है। पहले के कानून में केवल मां को ही संपत्ति में अधिकार मिलता था बच्चों को नहीं।

एससी समुदाय पर लागू नहीं होगा कानून

उत्तराखंड की जनजातियों को इस कानून से बाहर रखा गया है। मतलब उत्तराखंड में निवास करने वाली किसी भी जनजाति पर यह कानून लागू नहीं होगा। बता दें कि राज्य में थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय की जनजातियां निवास करते हैं। इनको संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत जनजाति समुदाय में शामिल करने के लिए अधिसूचित किया गया है।

Created On :   7 Feb 2024 2:26 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story