संकट में सुक्खू सरकार: विक्रमादित्य ने पार्टी नेतृत्व से की बात, क्या हिमाचल में कांग्रेस सरकार का टला खतरा?

विक्रमादित्य ने पार्टी नेतृत्व से  की बात, क्या हिमाचल में कांग्रेस सरकार का टला खतरा?
  • अटकलों पर लगा विराम
  • संकट से बाहर सुक्खू सरकार
  • कांग्रेस हाईकमान से विक्रमादित्य की हुई बात

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस हाईकमान से बात की। कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व से बात होने के बाद अब माना जा रहा है कि हिमाचल में कांग्रेस को कोई खतरा नहीं है। सोमवार को पार्टी सूत्रों ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार अब खतरे से बाहर हैं। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को मुख्यमंत्री सुक्खू और उनके द्वारा अब तक किए गए कार्यों पर भरोसा है, इसलिए फिलहाल राज्य सरकार के नेतृत्व में बदलाव संभव नहीं लगता।

बीते दिनों से विक्रमादित्य पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात करने के लिए दिल्ली गए थे। इससे पहले वह पंचकुला गए थे जहां उन्होंने अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस के 6 विधायकों से मुलाकात की थी। दिल्ली में विक्रमादित्य की मुलाकात बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम जयराम ठाकुर और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल से होने की भी खबर सामने आई थी।

साथ साथ ये अटकलें चल रही थी कि विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस छोड़ने के साथ साथ अपनी नई पार्टी बना सकते है। इसे इस बात से जोड़कर देखा जा रहा है कि विक्रमादित्य ने फेसबुक पर अपनी पहचान बदलते हुए 'पीडब्ल्यूडी मंत्री' हटाकर हिमाचल प्रदेश का सेवक लिख लिया है। उधर विक्रमादित्य सिंह की मां और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस अध्यक्ष सांसद प्रतिभा सिंह भी भाजपा की तारीफ करते हुए नहीं थक रह रही है। ऐसे में लग रहा है कि अभी भी हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छटने से पहले एक बार फिर मंडराने लगे हैं।

विक्रमादित्य ने बीते बुधवार को सार्वजनिक रूप से कांग्रेस पर उनके पिता का अपमान करने का आरोप लगाया था और रोते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने इस्तीफा स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव न डालने की बात कही थी। शुक्रवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा था कि अगर विधायकों की शिकायतों पर समय पर ध्यान दिया गया होता तो हिमाचल सरकार पर राजनीतिक संकट आने की नौबत ही नहीं आती। उनका ये बयान केंद्रीय पर्यवेक्षकों के उस दावे के बाद आा था जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है।

आपको बता दें इससे पहले हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव से शुरु हुई कांग्रेस की टेंशन लगातार बढ़ती हुई नजर आ रही थी। राज्यसभा चुनाव में सत्तारुढ़ कांग्रेस सरकार में कुछ मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी सामने आई थी। जिसके चलते कांग्रेस के उम्मीदवार को हार झेलनी पड़ी। अभी भी कांग्रेस नेताओं की नाराजगी बनी हुई है, इस कड़ी में रोते हुए मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले विक्रमादित्य तेज सिंह को मनाने की काफी कोशिशें की गई लेकिन वो मानने को तैयार नहीं है, उनकी नाराजगी जगजाहिर हुई।

प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल उस वक्त से मंडरा रहे हैं जब प्रदेश की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के 6 बागी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसके चलते बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हराकर जीत हासिल की थी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने विधानसभा में बजट के लिए वोटिंग पर पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के आरोप में 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।

कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी और प्रतिभा सिंह के खास कहे जाने वाले रामपुर विधानसभा के विधायक नन्दलाल को हिमाचल प्रदेश फाइनेंस कमीशन का चेयरमैन बनाया है।

Created On :   4 March 2024 11:08 AM GMT

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